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________________ सातवी दशा बारह भिक्षुप्रतिमाएँ सुयं मे आउसं ! तेणं भगवया एवमवखायं-इह खलु थेरेहि भगवंतेहिं बारस भिक्खुपडिमानो पण्णत्ताओ। प०–कयराओ खलु ताओ थेरेहि भगवंतेहिं बारस भिक्खुपडिमानो पण्णत्ताओ? उ०-इमाओ खलु तामो थेरेहि भगवंतेहिं बारस भिक्खुपडिमाओ पण्णत्ताओ, तं जहा 1. मासिया भिक्खुपडिमा, 2. दोमासिया भिक्खुपडिमा, 3. तिमासिया भिक्खुपडिमा, 4. चउमासिया भिक्खुपडिमा, 5. पंचमासिया भिक्खुपडिमा, 6. छमासिया भिक्खुपडिमा, 7. सत्तमासिया भिक्खुपडिमा, 8. पढमा सत्तराईदिया भिक्खुपडिमा, 9. दोच्चा सत्तराइंदिया भिक्खुपडिमा, 10. तच्चा सत्तराइंदिया भिक्खूपडिमा, 11. अहोराया भिक्खुपडिमा, 12. एगराइया भिक्खुपडिमा। हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है-~-उन निर्वाणप्राप्त भगवान् महावीर ने ऐसा कहा है-इस जिनप्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने बारह भिक्षुप्रतिमाएँ कही हैं। प्र.--भगवन् ! स्थविर भगवन्तों ने बारह भिक्षुप्रतिमाएँ कौन-सी कही हैं ? उ०-स्थविर भगवन्तों ने बारह भिक्षुप्रतिमाएँ ये कही हैं, यथा 1. मासिको भिक्षुप्रतिमा, 2. द्विमासिक भिक्षुप्रतिमा, 3. त्रिमासिकी भिक्षुप्रतिमा, 4. चातुर्मासिकी भिक्षुप्रतिमा, 5. पंचमासिकी भिक्षुप्रतिमा, 6. षणमासिकी भिक्षुप्रतिमा, 7. सप्तमासिकी भिक्षुप्रतिमा, 8. प्रथमा सप्तरात्रिदिवा भिक्षुप्रतिमा, 9. द्वितीया सप्तरात्रिदिवा भिक्षुप्रतिमा, 10. तृतीया सप्तरात्रिंदिवा भिक्षुप्रतिमा, 11. अहोरात्रिकी भिक्षुप्रतिमा, 12. एकरात्रिकी भिक्षुप्रतिमा / प्रतिमा आराधनकाल में उपसर्ग मासियं णं भिक्खुपडिम पडिवनस्स अणगारस्स निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उववजेज्जा, तं जहा दिग्वा वा, माणुसा वा, तिरिक्खजोणिया वा, ते उप्पण्णे सम्मं सहेज्जा, खमेज्जा, तितिक्खेज्जा, अहियासेज्जा / नित्य शरीर की परिचर्या एवं ममत्वभाव से रहित एकमासिकी भिक्षुप्रतिमाधारी अनगार को जो कोई उपसर्ग आवे, जैसे देवसम्बन्धी, मनुष्यसम्बन्धी या तिर्यञ्चसम्बन्धी, उसे वह सम्यक् प्रकार से सहन करे, क्षमा करे, दैन्यभाव नहीं रखे, वीरतापूर्वक सहन करे / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003495
Book TitleAgam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages206
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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