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________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक 12 118-127 मल-विसर्जन सम्बन्धी विधि भंग करने के प्रायश्चित्त 118-121 दस सूत्रों का संक्षिप्त आशय, इनका सम्बन्ध मल-त्याग से है, लघुनीत की अपेक्षा नहीं है, सूत्रों के मुख्य शब्दों की व्याख्या एवं विचारणा / 128 प्रायश्चित्त वहन करने वाले के साथ भिक्षार्थ जाने का प्रायश्चित्त 121-124 उद्देशक 2 सूत्र 40 और प्रस्तुत सूत्र में परिहारिक अपरिहारिक शब्द के अर्थ करने की भिन्नता, पारिहारिक साधु का परिचय एवं तत्सम्बन्धी विभिन्न जानकारी के लिये प्रश्नोत्तर। उद्देशक का सूत्र क्रमांक युक्त सारांश 124-125 किन-किन सूत्रों का विषय अन्य आगमों में है अथवा नहीं है 126-127 __ उद्देशक 5 1-11 वृक्षस्कंध के निकट बैठने आदि का प्रायश्चित्त 128-129 शब्दों की व्याख्या, उद्देशक, समुद्दे श के वैकल्पिक अर्थ / गृहस्थ से चद्दर सिलवाने का प्रायश्चित्त 129 गृहस्थ के पाठ प्रकार, सिलाई करने के कारण एवं ऋमिक विधि / चावर के लम्बी डोरियां बांधने का प्रायश्चित्त 129-130 किसके कब और कितनी डोरियां बांधना? डोरियों की कितनी लम्बाई ? लंबी डोरियों के दोष / पत्त धोकर खाने का प्रायश्चित्त 130 गवेषणा विवेक, धोने के दोष, "पडोल" की अर्थ विचारणा / 15-18 लौटाने योग्य पादत्रोंछन सम्बन्धी प्रायश्चित्त प्रायश्चित्त पादपोंछन का नहीं किन्तु भाषा के प्रविवेक का है। 19-22 लौटाने योग्य दंड आदि सम्बन्धी प्रायश्चित्त 131-132 23 लौटाने योग्य शय्या-संस्तारक सम्बन्धी प्रायश्चित्त 132 शब्द व्याख्या, बाहर से लाये शय्या-संस्तारक उपाश्रय में छोड़ना, पुनः आज्ञा लेना, अन्त में यथा-स्थान पहुंचाना / 24 सूत कातने का प्रायश्चित्त 132-133 कातने के साधन, दोषोत्पत्ति / 25-30 सचित्त, रंगीन या आकर्षक दंड बनाने का प्रायश्चित्त 133-134 दंड बनाने में कारण, बनाने में ध्यान रखने योग्य मुद्दे, शब्दों की व्याख्या, सूत्रसंख्या विचारणा। 14 131 ( 79 ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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