SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 436
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 336) [निशीथसूत्र 96. जे भिक्खू णितियस्स वत्थं वा, पडिग्गहं वा, कंबलं वा पायछणं वा देइ, देंतं वा साइज्जइ। 97. जे भिक्खू णितियस्स वत्थं वा, पडिग्गहं वा, कंबलं वा, पायछणं वा पडिच्छइ, पडिच्छंतं वा साइज्जइ। 88. जो भिक्षु पार्वस्थ को वस्त्र, पात्र, कंबल या पादपोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 89. जो भिक्षु पार्श्वस्थ का वस्त्र, पात्र, कंबल या पादपोंछन लेता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है। ___90. जो भिक्षु अवसन्न को वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादप्नोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 91. जो भिक्षु अवसन्न का वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन लेता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है। ___ 92. जो भिक्षु कुशील को वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 93. जो भिक्षु कुशील का वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन लेता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है / 94. जो भिक्षु संसक्त को वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 95. जो भिक्षु संसक्त का वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन लेता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है। 96. जो भिक्षु नित्यक को वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन देता है या देने वाले का अनुमोदन करता है। 97. जो भिक्षु नित्यक का वस्त्र, पात्र, कम्बल या पादपोंछन लेता है या लेने वाले का अनुमोदन करता है (उसे लघुचौमासी प्रायश्चित्त आता है।) विवेचन--पार्श्वस्थ आदि के साथ आहार के समान वस्त्र, पात्र आदि उपकरणों का लेन-देन भी सुविहित साधु को नहीं कल्पता है / शेष विवेचन पूर्ववत् जानना चाहिये / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy