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________________ बारहवां उद्देशक] [269 31. जे भिक्खू इहलोइएसु वा रूवेसु, परलोइएसु वा रूबेसु, दिठेसु वा रूवेसु, अदिठेसु वा रूवेसु, सुएसु वा स्वेसु, असुएसु वा रूवेसु, विन्नाएसु वा रूवेसु, अविनाएसु वा रूवेसु सज्जइ, रज्जइ, गिज्सइ, अज्झोववज्जइ, सज्जंतं वा, रज्जंतं वा, गिझंतं वा, अज्झोववज्जंतं वा साइज्जइ / 16. जो भिक्षु–१. खेत, 2. खाई, 3. कोट, 4. तोरण, 5. अर्गला, 6. अर्गलापास, 7. गड्ढा, 8. गुफा, 9. कूट के सदृश महल, 10. गुप्तगृह (तलघर), 11. वृक्ष-गृह (वृक्ष पर या वृक्ष के आश्रय से बना घर), 12. पर्वत-गृह, 13. वृक्ष का चैत्यालय, 14. स्तूप का चैत्यालय, 15 लुहारशाला, 16. धर्मशाला, 17. देवालय, 18. सभास्थल, 19. प्याऊ, 20 दुकाने, 21. गोदाम, 22. यान-गृह, 23. यान-शाला, 24. चूने के कारखाने, 25. दर्भ-कर्म के स्थान, 26, चर्म-कर्म के स्थान, 27. वल्कजकर्म के स्थान, 28. वन-कर्म-वनस्पति के कारखाने, 29. कोयले के कारखाने, 30. लकड़ी के कारखाने, 31. श्मशान, 32. शान्तिकर्म करने के स्थान, 33. पर्वत, 34. गुफा में बने गृह, 35. पाषाणकर्म के स्थान, 36. भवनों और गृहों को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता 17. जो भिक्षु-१. इक्षु वगैरह की वाटिका (अथवा सब्जी की वाटिका), 2. घास का जंगल, 3. प्रच्छन्न स्थान, 4. नदी के जल से घिरे हुए स्थल, 5. सघन जंगल(अटवी), ६.सुदीर्घ अटवी, 7. एक जातीय वृक्षों का वन (उपवन), 8. अनेक जातीय वृक्षों का सघन वन, 9. पर्वत, 10. अनेक पर्वतों का समूह, 11. कुएं, 12. तालाब, 13. द्रह, 14. नदियां, 15. बावड़ियां, 16. पुष्करणियां, 17. दीधिका-लम्बी बावड़िया आदि, 18. परस्पर कपाट से संयुक्त अनेक वावड़िया, 19. सरोवर, 20. सरोवरपंक्ति, 21. अन्योन्यसंबद्ध-सरोवर को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनूमोदन करता है। 18. जो भिक्षु ग्राम यावत् राजधानी को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। 19. जो भिक्षु ग्राम-महोत्सव (यात्रादि) यावत् राजधानी में होने वाले महोत्सव को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। 20. जो भिक्षु ग्रामघात यावत् राजधानीघात को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। 21. जो भिक्षु ग्राम के मार्गों को यावत् राजधानी के मार्गों को देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है / 22. जो भिक्षु-१. अश्व, 2. हस्ती, 3. महिष, 4. वृषभ, 5. कुक्कुट, 6. मर्कट (बन्दर), 7. लावक पक्षी, 8. बत्तख, 9. तित्तिर, 10. कबूतर, 11. करज या चातक (पक्षी) आदि को शिक्षित करने का स्थान देखने के लिये जाता है या जाने वाले का अनुमोदन करता है। 23. जो भिक्षु-१. अश्वयुद्ध, 2. गजयुद्ध, 3. ऊँटों का युद्ध, 4. सांडों (बैलों) का युद्ध, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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