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________________ नवम उद्देशक] [191 तंजहा–१. आस-दमगाण वा, 2. हस्थि-दमगाण वा, आस-परियट्टाण वा, 4. हत्यि-परियट्टाण वा, 5. आस-मिठाण वा, 6. हथि-मिठाण वा, 7. आसरोहाण वा, 8. हस्थिरोहाण वा। 25. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ / तंजहा-१. सत्थवाहाण वा, 2. संबाहयाण वा, 3. अम्भंगयाण वा, 4. उन्वट्टयाण वा, 5. मज्जावयाण वा, 6. मंडावयाण वा, 7. छत्तग्गहाण वा, 8. चामरग्गहाण वा, 9. हडप्पग्गहाण वा, 90. परियट्टग्गहाण या, 11. दीवियग्गहाण वा, 12. असिग्गहाण वा, 13. धणुग्गहाण वा, 14. सत्तिगहाण वा, 15. कोंतग्गहाण वा / 26. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा, परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइज्जइ। तंजहा–१. वरिसधराण वा, 2. कंचइज्जाण वा, 3. दुवारियाण वा, 4. दंडारक्खियाण वा। 27. जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा, पाणं था, खाइमं वा, साइमं वा परस्स नीहडं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा, साइज्जइ / तंजहा–१. खुज्जाण वा, 2. चिलाइयाण वा, 3. वामणीण वा, 4. वडभीण वा, 5. बव्वरोण वा, 6. बउसीण वा, 7. जोणियाण वा, 8. पल्हवियाण वा, 9. इसीणीयाण वा, 10. धोरूगीणीण वा, 11. लासियाण वा, 12. लउसीयाण वा, 13. सिंहलीण वा, 14. दमिलीण वा, 15. आरबीण वा, 16. पुलिदीण वा, 17. पक्कणीण वा, 18. बहलोण वा, 19. मुरंडीण बा, 20. सबरीण वा, 21. पारसीण वा। तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं / 21. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के-१. अंगरक्षक, 2. आधीन राजा, 3. जागीरदार, 4. राजा के आश्रित रहने वाले वंशज, 5. और इन चारों के सेवकों के लिये निकाला हुया अशन, पान, खाद्य या स्वाद्य ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। 22. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्य मुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के- 1. नाटक करने वाले, 2. नृत्य करने वाले, 3. डोरी पर नृत्य करने वाले, 4. स्तुतिपाठ करने वाले, 5. मल्लयुद्ध करने वाले, 6. मुष्टियुद्ध करने वाले, 7. उछल-कूद करने वाले, 8. अनेक प्रकार के खेल करने वाले, 9. कथा करने वाले, 10. नदी आदि में तैरने वाले, 11. जय-जय ध्वनि करने वाले, इनके लिये निकाला हुआ अशन-पान-खाद्य या स्वाद्य आहार ग्रहण करता है या ग्रहण करने वाले का अनुमोदन करता है। 23. जो भिक्षु शुद्धवंशीय राज्यमुद्राधारक मूर्धाभिषिक्त क्षत्रिय राजा के- 1. अश्व, 2. हस्ती, 3. महिष, 4. वृषभ, 5. सिंह, 6. व्याघ्र, 7. अजा, 8. कबूतर, 9. मृग, 10. श्वान, 11. शूकर, 12. मेंढा, 13. कुक्कुट, 14. बंदर, 15. तीतर, 16. बतख, 17. लावक, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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