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________________ 98] [निशीयसूत्र 1. रायारक्खियं-रायाणं जो रक्खति सो रायरक्खिनो-सिरोरक्षः राजा का अंगरक्षक / 2. नगरारक्खियं-नगरं रक्खति जो सो नगररक्खियो-कोट्टपाल:-कोतवाल / 3. निगमारक्खियं-सव्वपगइओ जो रक्खइ सो निगमरक्खिो -सेट्ठी-नगरसेठ / 4. सव्वारक्खियं एताणि सव्वाणि जो रक्खइ सो सवारक्खियो-एतेषु सर्वकार्येषु प्रापृ. च्छनीयः स च महाबलाधिकः इत्यर्थः-सभी कार्यों में सलाहकार / ग्राम-रक्षक आदि को अपने वश में करने का प्रायश्चित्त 16. जे भिक्खू "गामारक्खियं” अत्तीकरेइ, अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ / 17. जे भिक्खू "देसारक्खिय" अत्तीकरेइ, अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ / 18. जे भिक्खू "सीमारक्खियं" अत्तीकरेइ, अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ / 19. जे भिक्खू "रण्णारक्खियं" अत्तीकरेइ अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ / 20. जे भिक्खू "सब्वारक्खियं" अत्तीकरेइ, अत्तीकरेंतं वा साइज्जइ / 16. जो भिक्षु ग्रामरक्षक को अपने वश में करता है या वश में करने वाले का अनुमोदन करता है। 17. जो भिक्षु देशरक्षक को अपने वश में करता है या वश में करने वाले का अनुमोदन करता है। 18. जो भिक्षु सीमारक्षक को अपने वश में करता है या वश में करने वाले का अनुमोदन करता है। 19. जो भिक्षु राजरक्षक को अपने वश में करता है या वश में करने वाले का अनुमोदन करता है। 20. जो भिक्षु सर्वरक्षक को अपने वश में करता है या वश में करने वाले का अनुमोदन करता है / (उसे लघुमासिक प्रायश्चित्त आता है।) ग्रामरक्षक आदि की प्रशंसा करने का प्रायश्चित्त 21. जे भिक्खू "गामारक्खियं" अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ / 22. जे भिक्खू "देसारक्खियं" अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ / 23. जे भिक्खू "सीमारक्खियं" अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ। 24. जे भिक्खू "रण्णारक्खियं" अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जइ / , 25. जे भिक्खू "सब्वारक्खिय" अच्चीकरेइ अच्चीकरेंतं वा साइज्जह / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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