________________ तृतीय से दशम अध्ययन 36. एवं सेसा वि अट्ठ प्रज्शयणा नेयम्वा पढमसरिसा, नवरं मायाओ सरिसनामानो। // निरयावलियानो समत्ताओ॥ // पढमो वग्गो समत्तो॥ [36] प्रथम अध्ययन के समान शेष पाठ अध्ययन भी जानने चाहिए। किन्तु इतना विशेष है कि उनकी माताओं के नाम समान हैं अर्थात् माताओं के नाम के समान उन कुमारों के नाम हैं / यथा-महाकाली रानी का पुत्र महाकाल, कृष्णा देवी का पुत्र कृष्ण, सुकृष्णा देवी का पुत्र सुकृष्ण आदि। ॥निरयावलिका समाप्त / / // प्रथम वर्ग समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org