________________ प्रकाशकीय ग्रन्थाङ्क 21 के रूप में निरयावलिका सूत्र पाठकों के समक्ष उपस्थित किया जा रहा है। इसमें पाँच आगमों का समावेश है-~-कप्पिया, कप्पडिसिया, पुफिया, पुष्पचूलिया और वहिदशा ! 'कप्पिया' का दूसरा माम निरयावलिका—निरयावलिया भी है और सामान्यरूप से ये पाँचों सूत्र 'निरयावलिया' की संज्ञा से अभिहित होते हैं। इन सभी में व्यक्तियों के चरित वर्णित है किन्तु अत्यन्त संक्षिप्त शैली में / अतएव ये आकार में बहुत इसी कारण पांचों सूत्रों को एक ही साथ-एक ही जिल्द में प्रकाशित किया जा रहा है। इससे पूर्व इन सूत्रों के जितने संस्करण प्रकाशित हुए हैं, उनमें भी ऐसा ही किया गया है। इन सूत्रों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी श्रद्धेय मुनिश्री देवेन्द्रमुनिजी म. की विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावना को पढ़कर प्राप्त की जा सकती है। मुनिश्री का अध्ययन बहुत विशाल है और प्रस्तावना-लेखनादि में प्रापका अत्यन्त मूल्यवान् सहयोग इस समिति को प्राप्त है। सचाई तो यह है कि आपका सहयोग भी प्रकाशन की त्वरित गति में एक प्रमुख निमित्त है। प्रेस में अन्य कार्यों की बहलता होने से बीच में मुद्रणकार्य कुछ विलम्बित हो गया था, पर अब वह पूर्व गति से चलता रहेगा, ऐसा प्रेस-प्रबन्धकों ने विश्वास दिया है। हमारी हार्दिक इच्छा है कि बत्तीसी-प्रकाशन का यह कार्य शीघ्र से शीघ्र सम्पन्न हो जाए और दिवंगत श्रद्धेय युवाचार्य श्रीमिश्रीमलजी म. सा. 'मधुकर' द्वारा प्रारब्ध यह भगीरथ-कार्य सम्पन्न करके समिति उनके असीम उपकारों का यत्-किंचित् बदला चका सके। प्रस्तुत प्रकाशन में जिन-जिन महानुभावों से जिस-जिस रूप में सहयोग प्राप्त हुआ है, हम उनके प्राभारी हैं। अनुवादक के रूप में पं. देवकुमारजी शास्त्री तथा सम्पादक-संशोधक के रूप में पं. शोभाचन्द्रजी भारिल्ल का स्थायी रूप से सहयोग हमें प्राप्त ही है। का स्तचंद्र मोदी - रतनचंद्र मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष 0जतनराज महता 0चांदमल विनायकिया प्रधानमंत्री मंत्री श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर / जनजानम महता. चांदमल बिनायकिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org