________________ 7 से 10 अध्ययन 63. एवं दत्ते 7, सिवे 8, बले 9, अगाढिए 10, सब्वे जहा पुण्णभद्दे देवे / सम्वेसि दो सागरोबमाई ठिई / विमाणा देवसरिसनामा। पुश्वभवे दत्ते चन्दणाए, सिवे मिहिलाए, बले हस्थिणपुरे नयरे, अणाढिए काकन्दिए / चेइयाइं जहा संगहणीए / // तइओ वग्गो समत्तो॥ [63] इसी प्रकार 7 दत्त, 8 शिव, 6 बल और 10 अनादृत, इन सभी देवों का वर्णन पूर्णभद्र देव के समान जानना चाहिए / सभी की दो-दो सागरोपम की स्थिति है। इन देवों के नाम के समान ही इनके विमानों के नाम हैं / पूर्वभव में दत्त चन्दना नगरी में, शिव मिथिला नगरी में, बल हस्तिनापुर नगर में, अनादृत काकन्दी नगरी में जन्मे थे। संग्रहणी गाथा के अनुसार उन नगरियों के चैत्यों के नाम जान लेना चाहिए / इस प्रकार पुष्पिका उपांग का सातवाँ, आठवां, नौवाँ और दसवाँ अध्ययन समाप्त हुआ। // पुष्पिका नामक तृतीय वर्ग समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org