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________________ KUMMC 102 111 15. अवसर्पिणी : दुःषमसुषमा 16. अवसर्पिणी : दुःषमा पारक 17. अवसर्पिणी : दुःषमदुःषमा 18. प्रागमिष्यत् उत्सर्पिणी : दुःषमदुःषमा, दुःषमकाल 19. जल-क्षीर-घृत-अमृतरस-वर्षा 20. सुखद परिवर्तन 21. उत्सपिणी : विस्तार तृतीय वक्षस्कार 1. विनीता राजधानी 2. चक्रवर्ती भरत 3. चक्ररत्न की उत्पत्ति: अर्चा : महोत्सव 4. भरत का मागधतीर्थाभिमुख प्रयाण 5. मागधतीर्थ-विजय वरदामतीर्थ-विजय 7. प्रभासतीर्थ-विजय 8. सिन्धुदेवी-साधना 9. वैताढ्य-विजय 10. तमिस्रा-विजय 11. निष्कुट-विजयार्थ सुषेण की तैयारी 12. चर्मरत्न का प्रयोग 13. विशाल विजय 14. तमिस्रा गुफा : दक्षिणद्वारोद्घाटन 15. काकणीरत्न द्वारा मण्डल-पालेखन 16. उन्मग्नजला, निमग्नजला महानदियाँ 17. आपात किरातों से संग्राम 18. आपात किरातों का पलायन 19. मेघमुख देवों द्वारा उपद्रव 20. छत्ररत्न का प्रयोग 21. आपात किरातों की पराजय 22. चुल्लहिमवंत-विजय 23. ऋषभकूट पर नामांकन 24. नमि-विनमि-विजय 25. खण्डप्रपात-विजय 26. नवनिधि-प्राकट्य 27. विनीता-प्रत्यागमन wom 116 118 119 121 124 126 128 130 134 148 151 157 [ 55] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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