________________ [401 ल 153 353 94 245 228 265 153 249 परिशिष्ट-१ : गाथाओं के अक्षरानुक्रमी संकेत] सव्वा आभरणविही ससि समग-पुण्णमासि लासिय-लउसिय-दमिली सागरगिरिमेरागं लोहस्स य उप्पत्ती 153 सिद्ध अविज्जुणामे व सिद्ध कच्छे खंडग सिद्धणीले पुष्वविदेहे वच्छे सुवच्छे महावच्छे 240 सिद्ध य मालवन्ते वत्थाण य उप्पत्ती सिद्ध रुप्पी रम्मग वप्पे सुवप्पे महावप्पे सिद्ध सोमणसे वि अ वसुहर गुणहर जयहर 140 सुदंसणा अमोहा य विजया य वेजयन्ति 356 सुभद्दा य विसाला य विजया वेजयन्ती 249 सुसीमा कुण्डला चेव विसमं पवालिणो 353 सो देवकम्मविहिणा वेरुलियमणिकवाडा 154 सोमे सहिए पासणे सोलसदेवसहस्सा संठाणं च पमाणं मत्तगदुगदुग-पंचग सत्त पाणूइं से थोवे 27 सत्तेव य कोडिसया 312 हट्ठस्स अणवगल्लस्स सत्थेण सुतिक्खेण वि हयवइ गयवइ गरवइ समयं नक्खत्ता जोगं 352 हिदि ससि-परिवारो समाहारा सुपइण्णा 278 हंदि सुणतु भवंतो, बाहिरो सयभिसया भरणीओ 365 हंदि सुणंतु भवतो, अभितरओ Nory ram rm 27 140 378 102 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org