________________ [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र गोयमा ! चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोगं जोएइ, एवं इमाहि गाहाहिं अब्वं अभिई छच्च मुहुत्ते, चत्तारि अ केवले अहोरत्ते। सूरेण समं गच्छइ, एत्तो सेसाण वोच्छामि // 1 // सयभिसया भरणीप्रो, अहा, अस्सेस साइ जेट्ठा य / वच्चंति मुहुत्ते, इक्कवीस छच्चेवऽहोरते // 2 // तिण्णेव उत्तराई, पुणन्वसू रोहिणी विसाहा य / वच्चंति मुहुत्ते, तिणि चेव वीसं अहोरत्ते // 3 // अवसेसा णक्खत्ता, पण्णरस वि सूरसहगया जंति / बारस चेव मुहुत्ते, तेरस य समे अहोरत्ते // 4 // [193] भगवन् ! अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र कितने मुहूर्त पर्यन्त चन्द्रमा के साथ योगयुक्त रहता है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र चन्द्रमा के साथ 637 मुहूर्त पर्यन्त योगयुक्त रहता है। इन निम्नांकित गाथाओं द्वारा नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग ज्ञातव्य है गाथार्थ-~अभिजित् नक्षत्र का चन्द्रमा के साथ एक अहोरात्र में--३० मुहूर्त में उनके 3 भाग परिमित योग रहता है / इससे अभिजित् चन्द्रयोग काल 343 = 617 मुहूर्त फलित होता है। शतभिषक्, भरणी, पार्दा, अश्लेषा, स्वाति एवं ज्येष्ठा-इन छह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ 15 मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। तीनों उत्तरा-उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढा तथा उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी तथा विशाखा-इन छह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ 45 मुहूर्त योग रहता है। बाकी पन्द्रह नक्षत्रों का चन्द्रमा के साथ 30 मुहर्त पर्यन्त योग रहता है। यह नक्षत्र-चन्द्र-योग-क्रम है / / भगवन् ! इन अट्ठाईस नक्षत्रों में अभिजित् नक्षत्र सूर्य के साथ कितने अहोरात्र पर्यन्त योगयुक्त रहता है ? गौतम ! अभिजित् नक्षत्र सूर्य के साथ 4 अहोरात्र एवं 6 मुहूर्त पर्यन्त योगयुक्त रहता है / इन निम्नांकित गाथाओं द्वारा नक्षत्र-सूर्ययोग ज्ञातव्य है / गाथार्थ---अभिजित् नक्षत्र का सूर्य के साथ 4 अहोरात्र तथा 6 मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है / शतभिषक्, भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, स्वाति तथा ज्येष्ठा--इन नक्षत्रों का सूर्य के साथ 6 अहोरात्र तथा 21 मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। तीनों उत्तरा-उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढा तथा उत्तरभाद्रपदा, पुनर्वसु, रोहिणी एवं विशाखा-इन नक्षत्रों का सूर्य के साथ 20 अहोरात्र और 3 मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। . बाकी के पन्द्रह नक्षत्रों का सूर्य के साथ 13 अहोरात्र तथा 12 मुहूर्त पर्यन्त योग रहता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org