SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 406
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम वक्षस्कार] [345 [180] भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! सर्वाभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल को लम्बाई-चौड़ाई 66640 योजन तथा उसको परिधि कुछ अधिक 315086 योजन बतलाई गई है। भगवन् ! द्वितीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल' को लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गौतम ! द्वितीय आभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई 6971240 योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भागों में से 1 भाग योजनांश तथा उसको परिधि कुछ अधिक 315316 योजन बतलाई गई है। भगवन् ! तृतीय पाभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गौतम ! तृतीय प्राभ्यन्तर चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई 667851, योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भाग में से 2 भाग योजनांश एवं उसको परिधि कुछ अधिक 315546 योजन बतलाई गई है। ___ इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र (एक मण्डल से दूसरे मण्डल पर संक्रमण करता हुआ) प्रत्येक मण्डल पर 7210 योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भागों में से 1 भाग योजनांश विस्तारवृद्धि करता हुअा तथा 230 योजन परिधिवृद्धि करता हुअा सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। भगवन् ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई 100660 योजन तथा उसकी परिधि 318315 योजन बतलाई गई है। __ भगवन् ! द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है? गौतम ! द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई 10058761 योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भागों में से 6 भाग योजनांश तथा उसकी परिधि 3. योजन बतलाई गई है। भगवन् ! तृतीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! तृतीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई 10051416 योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भागों में से 5 भाग योजनांश तथा उसको परिधि 317855 योजन बतलाई गई है। इस क्रम से प्रवेश करता हग्रा चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता ह प्रत्येक मण्डल पर 7210 योजन तथा 61 भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के 7 भागों में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy