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## Prajñāpanā Sūtra, Chapter 26, Pudgala Dwār:
**28.** [Pudgala Dwār, Chapter 26 of the Prajñāpanā Sūtra]
**Regarding the quantity of Pudgalas:**
**According to the realms:**
1. The least amount of Pudgalas are in the Triloka (three realms).
2. In the Ūrdhvaloka-tiryagloka (upper and oblique realms), they are infinitely more.
3. In the Adholoka-tiryagloka (lower and oblique realms), they are more than the previous.
4. In the Tiryagloka (oblique realm), they are innumerable times more than the previous.
5. In the Ūrdhvaloka (upper realm), they are innumerable times more than the previous.
6. In the Adholoka (lower realm), they are more than the previous.
**According to the directions:**
1. The least amount of Pudgalas are in the Adhodisha (downward direction).
2. In the Ūrdhvadisha (upward direction), they are more than the previous.
3. In the Uttarapurvasthi (north-east) and Dāhiṇapacchasthi (south-west) directions, they are equal and innumerable times more than the previous.
4. In the Dāhiṇapurvasthi (south-east) and Uttarapacchasthi (north-west) directions, they are equal and more than the previous.
5. In the Purvasthi (east) direction, they are innumerable times more than the previous.
6. In the Pacchasthi (west) direction, they are more than the previous.
7. In the Dāhiṇ (south) direction, they are more than the previous.
8. In the Uttara (north) direction, they are more than the previous.
**Regarding the quantity of Dravyas:**
**According to the realms:**
1. The least amount of Dravyas are in the Triloka (three realms).
2. In the Ūrdhvaloka-tiryagloka (upper and oblique realms), they are infinitely more.
3. In the Adholoka-tiryagloka (lower and oblique realms), they are more than the previous.
4. In the Ūrdhvaloka (upper realm), they are innumerable times more than the previous.
5. In the Adholoka (lower realm), they are infinitely more than the previous.
6. In the Tiryagloka (oblique realm), they are a countable number of times more than the previous.
**According to the directions:**
1. The least amount of Dravyas are in the Adhodisha (downward direction).
2. In the Ūrdhvadisha (upward direction), they are infinitely more.
3. In the Uttarapurvasthi (north-east) and Dāhiṇapacchasthi (south-west) directions, they are equal and innumerable times more than the previous.
4. In the Dāhiṇapurvasthi (south-east) and Uttarapacchasthi (north-west) directions, they are equal and more than the previous.
5. In the Purvasthi (east) direction, they are innumerable times more than the previous.
6. In the Pacchasthi (west) direction, they are more than the previous.
7. In the Dāhiṇ (south) direction, they are more than the previous.
8. In the Uttara (north) direction, they are more than the previous.
________________ 28.] [प्रज्ञापनासूत्र छव्वीसवाँ पुद्गलद्वार : पुद्गलों, द्रव्यों आदि का द्रव्यादि विविध अपेक्षाओं से अल्प बहुत्व 326 खत्ताणुवाएणं सम्वत्थोवा पोग्गला तेलोक्के 1, उडलोयतिरिलोए प्रणंतगुणा 2, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहिया 3, तिरियलोए असंखज्जगुणा 4, उड्डलोए असंख ज्नगुणा 5, अधेलोए विसेसाहिया 6 / [326] क्षेत्र के अनुसार 1. सबसे कम पुद्गल त्रैलोक्य में हैं, 2. ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में (उनसे) अनन्तगुणे हैं, 3. अधोलोक-तिर्यग्लोक में विशेषाधिक हैं, 4. तिर्यग्लोक में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, 5. ऊर्ध्वलोक में (उनकी अपेक्षा) असंख्यातगुणे हैं, 6. (और उनकी अपेक्षा भी) अधोलोक में विशेषाधिक हैं। 327. दिसाणुवाएणं सम्वत्थोवा पोग्गला उद्धृदिसाए 1, अधेदिसाए विसेसाहिया 2, उत्तरपुरस्थिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्ला असंखज्जगुणा 3, दाहिणपुरस्थिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो वि तुल्ला विसेसाधिया 4, पुरस्थिमेणं असंखज्जगुणा 5, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया 6, दाहिणणं विसे साहिया 7, उत्तरेणं विसे साहिया 8 / [327] दिशाओं के अनुसार 1. सबसे कम पुद्गल अर्ध्वदिशा में हैं, 2. (उनसे) अधोदिशा में विशेषाधिक हैं, 3. उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम दोनों में तुल्य हैं, (पूर्वोक्त दिशा से) असंख्यातगुणे हैं, 4. दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम दोनों में तुल्य हैं और (पूर्वोक्त दिशाओं से) विशेषाधिक हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) पूर्वदिशा में असंख्यातगुणे हैं, 6. (उनकी अपेक्षा) पश्चिम दिशा में विशेषाधिक हैं, 7. (उनकी अपेक्षा) दक्षिण में विशेषाधिक हैं, (और उनकी अपेक्षा भी) 8. उत्तर में विशेषाधिक हैं। 328. खेत्ताणुवाएणं सध्यस्थोवाइं दवाई तेलोक्के 1, उड्डलोयतिरियलोए अणंतगुणाई 2, अधेलोयतिरियलोए विसेसाहियाइं 3, उड्डलोए असंखज्जगुणाई 4, अधेलोए अणंतगुणाई 5, तिरियलोए संखज्जगुणाई 6 / [328] क्षेत्र के अनुसार 1. सबसे कम द्रव्य त्रैलोक्य में (त्रिलोकस्पर्शी) हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में अनन्त गुणे हैं, 3. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में विशेषाधिक हैं, 4. (उनसे) ऊर्ध्वलोक में असंख्यातगुणे अधिक हैं, 5. (उनकी अपेक्षा) अधोलोक में अनन्तगुणे हैं, 6. (और उनकी अपेक्षा भी) तिर्यग्लोक में संख्यातगुणे हैं / 326. दिसाणुवाएणं सम्वत्थोवाई दवाई अधेदिसाए 1, उड्डदिसाए अणंतगुणाई 2, उत्तरपुरस्थिमेणं दाहिणपच्चस्थिमेण य दो वि तुल्लाई असंखज्जगुणाई 3, दाहिणपुर त्यिमेणं उत्तरपच्चस्थिमेण य दो वि तुल्लाई विसेसाहियाई 4, पुरस्थिमेणं असंखज्जगुणाई 5, पच्चस्थिमेणं विसेसाहियाइं 6, दाहिणणं विसेसाहियाई 7, उत्तरेणं विसेसाहियाई 8 / [326] दिशाओं के अनुसार, 1. सबसे थोड़े द्रव्य अधोदिशा में हैं, 2. (उनकी अपेक्षा) ऊर्ध्वदिशा में अनन्तगुणे हैं, 3. उत्तरपूर्व और दक्षिणपश्चिम दोनों में तुल्य हैं, (पूर्वोक्त ऊर्ध्वदिशा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org