________________ समर्पण जिन्होंने अन्धकारपूर्ण युग में दिव्यज्योतिस्तम्भ का कार्य किया, जो सम्यग्ज्ञान और चारित्र के परमाराधक थे, जिनमार्ग के प्रचार-प्रसार के लिए जिन्होंने अपने जीवन की आहुति दी, उन परम पुनीत संयतात्मा आचार्य श्री लवजीऋषिजी महाराज के कर-कमलों में। --मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org