________________ 220] [राजप्रश्नीयसूत्र morror 0.04 17 194 अप्पासवतर अप्फोयामंडवग अब्भवद्दलग अभितरपरिसा अभितरियपरिसा अभिगम अभिगमणिज्ज अभिसेग(य)समा अभिसेयभंड अमच्च प्रय अयभंड अयभारग(य) अयभारिय अयल अयविक्किणण अयहारय प्रयागर अरमणिज्ज अरहस्सभागी अरिहंत अरुअ अलंकारियभंड अलंकारियसभा अलंभोगसमत्थ अवलंबण अवलंबणबाहा प्रवाय अवंगुयदुवार अम्बाबाह अव्ववहारी असण असिलक्खण असुर असोग असोगलया असोगवण 162 अहिगरण अंक 20 अंकवाणि अंकधाई 207 126 अंकुस 10, 198 160 156 अंगबाहिर 103, 106, 121 अंचिय नट्टविहि 103 अंजण 175 अंजणपुलग 175 अंजणसमुग्ग 71, 101, 107 अंतर 202, 203 180 अंतेउर 131, 201 195 अंदोलग 80 118 अंबसालवण अंबसालवण-चेइअ 6, 13, 16, 23, 36 164 आइक्खग 164 आईणग 201 आयोग 8, 205 212 प्रागर 127 13, 118 पागासत्थिकाय 160 14, 118 आढत(य) 103, 115 प्राणपाणपज्जत्ति 104, 204 103,115, 116, 121 ग्राभरणविहि 208 206 प्राभरणारुहण 117, 119 आभिनिबोहियनाण 160, 161 आभियोगदेव प्रामलकप्पा 3, 6, 8, 13, 15, 16, 17, 22 144 23, 36 14, 118 आमलग (य) 189 पामेलग 144, 184 208 प्राययण 160 आयरक्ख 11, 126 आयरिय 197 प्रायंस 70, 101, 107 75 प्रायंसघरग 162 26 160 121 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org