________________ [राजप्रश्नीयसूत्र 218] वेयालियवीणा वेलु वंस cxcxccc M 0 52, 53 0 0 112 48, 51 0 48 48 77 सूरागमण 51 सूरावरण सूरावलिपविभत्ति सूरुग्गमण सेढी सोत्थिय सोवत्थिय संकूचिय 50 संकुचियपसारिय संख संखवाय संखियवाय संखिया संगयामेव उन्नमंति संगयामेव ओनमंति 58 संमंत __ संहरणचरित्र 112 सिंग सिगवाय 52 सिंगार 55 सुसुमारिया 51 हयविलसिय 51 विलंबिय 51 हुडुक्की 48, 51 सत्तसर सम समामेव अवणमंति समामेव उन्नमंति समामेव पसरांति समामेव समोसरण सरभ सललिअ सहितामेव उन्नमंति सहितामेव ओनमंति सागरतरंग सागरपविभत्ति सामन्नोविणिवाइय सामलयापविभत्ति सामंतोवणिवाइस सारिज्जंत सिरिवच्छ सीहमंडल सुघोसा सुण सुरइ सूरत्थमण 53 0 CCCCC 6 6 48, 51 cccccc < KnowNRNA होरंभ सूरमंडल 54 हंसाबलिपविभत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org