________________ अभिमत व्याख्यानवाचस्पति श्रीविजय मुनिजी महाराजः ............"जो आगम आपने प्रकाशित किए हैं, साधारण साधु-साध्वियों के लिए अतीव सुगम है। शास्त्रस्वाध्याय और उससे जो ज्ञानावरणीय कर्म की निर्जरा करेंगे उसकी दलाली आपश्री को भी मिलेगी। आपको इस महान् यज्ञ के लिए शत-शत धन्यवाद हैं। डा. प्रेमसुमन जैन, सहआचार्य एवं अध्यक्ष जैनविद्या एवं प्राकृतविभाग, उदयपुर वि. वि. आगमों को सामान्य श्रावक/ पाठक तक पहुँचाने का यह स्तुत्य प्रयास है। विद्वानों के लिए भी तुलनात्मक अध्ययन के लिए इन ग्रन्थों से सामग्री प्राप्त होगी। ........"सम्पादकों ने इन आगमों को प्रस्तुत करने में जो श्रम किया है, वह सराहनीय है। मुनि श्री बुधमलजी म० डा. छगनलालजी शास्त्री द्वारा अनूदित एवं विवेचित 'उवासगदसायो' का परिशीलन किया / मन आह्लादित हुआ। प्रवाहमय भाषा में सरस अनुवाद वस्तुत: शास्त्रीजी की प्रौढ मनीषा का परिचायक है। आवश्यक स्थलों पर किया गया विवेचन भी महत्त्वपूर्ण और बोधदायी है। Jan Education International For Private & Personal use only