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________________ 117 118 119 125 126 127 128 131 131 132 133 136 KMw 141 145 सूर्याभदेव द्वारा कार्य निश्चय सिद्धायतन का प्रमार्जन अरिहंत-सिद्ध भगवन्तों की स्तुति सूर्याभदेव द्वारा सिद्धायतन के देवच्छन्दक प्रादि की प्रमार्जना पाभियोगिक देवों द्वारा प्राज्ञापालन सूर्याभदेव का सभा-वैभव सूर्याभदेव विषयक गौतम की जिज्ञासा केकय अर्ध जनपद और प्रदेशी राजा रानी सूर्यकान्ता और युवराज सूर्यकान्त चित्त सारथी कूणाला जनपद, श्रावस्ती नगरी, जितशत्र राजा चित्तसारथी का श्रावस्ती की अोर प्रयाण श्रावस्ती नगरी में केशी कुमारश्रमण का पदार्पण दर्शनार्थ परिषदा का गमन और चित्त की जिज्ञासा चित्त सारथी का दर्शनार्थ गमन केशी श्रमण की देशना चित्त की केशी कुमारश्रमण से सेयविया पधारने की प्रार्थना केशीकुमार श्रमण का उत्तर चित्त की उद्यानपालकों को प्राज्ञा केशी कुमारश्रमण का सेयविया में पदार्पण चित्त का प्रदेशी राजा को प्रतिबोध देने का निवेदन केशी कुमारश्रमण का उत्तर प्रदेशी राजा को लाने हेतु चित्त की मुक्ति केशी कुमारश्रमण को देखकर प्रदेशी का चिन्तन तज्जीव-तच्छरीरवाद मंडन-खंडन प्रदेशी की परंपरागत मान्यता का निराकरण प्रदेशी की प्रतिक्रिया एवं श्रावकधर्म-ग्रहण प्रदेशी द्वारा कृत राज्यव्यवस्था सूर्यकान्ता रानी का षड्यंत्र प्रदेशी का संलेखना-मरण सूर्याभदेव का भावी जन्म माता-पिता द्वारा कृत जन्मादि संस्कार दृढप्रतिज्ञ का लालन-पालन दृढप्रतिज्ञ का कलाशिक्षण कलाचार्य का सम्मान दृढप्रतिज्ञ की भोगसमर्थता दृढप्रतिज्ञ की अनासक्ति उपसंहार 147 149 151 152 158 167 197 201 202 204 205 207 209 209 211 213 [14] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003481
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages288
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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