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________________ विषय पृष्ठ 114 154 0 116 155 0 0 0 0 परिषद-विसर्जन इन्द्रभूति गौतम की जिज्ञासा पाप-कर्म का बन्ध 117 एकान्तबाल : एकान्तसुप्त का उपपात 118 क्लिशित-उपपात 119 भद्रप्रकृति जनों का उपपात 122 परिक्लेश-बाधित नारियों का उपपात 123 द्विवव्यादिसेवी मनुष्यों का उपपात 124 वानप्रस्थों का उपपात 125 प्रव्रजित श्रमणों का उपपात 128 परिव्राजकों का उपपात 129 अम्बड परिव्राजक के सात सौ अन्तेवासी चमत्कारी अम्बड परिव्राजक 141 अम्बड़ के उत्तरवर्ती भव 146 प्रत्यनीकों का उपपात संजी पन्चेन्द्रिय तिर्य कयोनि जीवों का उपपात 154 विषय पृष्ठ आजीवकों का उपपात आत्मोत्कर्षक प्रवजित श्रमणों का उपपात निह्नवों का उपपात अल्पारंभी प्रादि मनुष्यों का उपपात अनारंभी श्रमण सर्वकामादि विरत मनुष्यों का उपपात 165 केवलि-समुद्घात में कर्म-पुद्गलों का विस्तार 165 केवलि-समुद्घात का हेतु 167 समुद्घात का स्वरूप समुद्घात के पश्चात् योग-प्रवृत्ति 170 योग-निरोधः सिद्धावस्था 171 सिद्धों का स्वरूप सिद्धयमान के संहनन, संस्थान आदि सिद्धों का परिवास 174 सिद्ध : सार संक्षेप 177 परिशिष्ट : गण और कुल संबंधी विशेष विचार 182 168 173 173 [ 42 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003480
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1992
Total Pages242
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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