________________ तृतीय अध्ययन अभग्नसेन उत्क्षेप १–तच्चस्स उक्खेवो। १-तृतीय अध्ययन की प्रस्तावना पूर्ववत् ही जान लेनी चाहिये / २-तेणं कालेणं तेणं समएणं पुरिमताले नाम नयरे होत्था, रिद्ध०।' तस्स गं पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए एत्थ णं अमोहदंसणे (अमोहदंसी) उज्जाणे / तत्थ णं अमोहदंसिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था। तत्थ णं पुरिमताले महब्बले नाम राया होत्था / 2- उस काल उस समय में पुरिमताल नामक एक नगर था। वह भवनादि की अधिकता से तथा धन-धान्य आदि से परिपूर्ण था। उस पुरिमताल नगर के ईशान कोण में अमोघदर्शी नामक एक उद्यान था। उस उद्यान में अमोघदर्शी नामक यक्ष का एक यक्षायतन था / पुरिमताल नगर में महाबल नामक राजा राज्य करता था। चोरपल्ली ३–तत्थ णं पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुरथिमे दिसीभाए देसप्पंते अडवी संठिया / एत्थ णं सालाडवी नामं चोरपल्ली होत्था / विसम-गिरिकन्दरकोलम्बसंनिविट्ठा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छिन्नसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा अभितरपाणीया सुदुल्लभजलपेरंता अणेगखण्डी विदियजणदिन्ननिग्गमप्पवेसा सुबहुयस्स वि कुवियस्स जणस्स दुप्पहंसा यावि होत्था / ३-उस पुरिमताल नगर के ईशान कोण में सीमान्त पर स्थित अटवी में शालाटवी नाम को चोरपल्ली (चोरों के रहने का प्रच्छन्न स्थान) थी जो पर्वतीय भयंकर गुफाओं के प्रान्तभाग-किनारे पर स्थित थी। बांस की जाली की बनी हुई बाड़रूप प्राकार (कोट) से घिरी हुई थी। छिन्न-अपने अवयवों से कटे हुए --पर्वत के ऊँचे-नीचे प्रपात-गर्तरूप खाई वाली थी। उसमें पानी की पर्याप्त सुविधा थी। उसके बाहर दूर-दूर तक पानी अप्राप्य था। उसमें भागने वाले मनुष्यों के मार्गरूप अने गुप्तद्वार थे। जानकार व्यक्ति ही उसमें निर्गम-प्रवेश (आवागमन) कर सकता था। बहुत से मोषव्यावर्तक-चोरों से चुराई वस्तुओं को वापिस लाने के लिये उद्यत मनुष्यों द्वारा भी उसका पराजय नहीं किया जा सकता था। चोरसेनापति विजय ४.-तत्थ णं सालाडवीए चोरपल्लीए विजए नामं चोरसेणावई परिवसइ / अहम्मिए जाव (अहम्मिट्ठ अहम्मक्खाई प्रहम्माणुए अहम्मपलोई अहम्मपलज्जणे अहम्मतीलसमुदायारे अहम्मेण 1. प्रौप. सूत्र-३ Jalil Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org