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________________ स्थानाङ्ग६३ समवायाङ्ग 4 में तथा उमास्वाति ने कर्मबंध के पांच कारण बताये हैं(१) मिथ्यात्व, (2) अविरति, (3) प्रमाद, (4) कषाय और योग / 55 / संक्षेप दृष्टि से कर्म बंध के दो कारण हैं-कषाय और योग / 66 कर्म बंध के चार भेद हैं-प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश / 7 इनमें प्रकृति और प्रदेश का बंध योग से होता है एवं स्थिति व अनुभाग का बंध कषाय से होता है।६८ संक्षेप में कहा जाय तो कषाय ही कर्मबंध का मुख्य हेतु है।६६ कषाय के अभाव में साम्परायिक कर्म का बंध नहीं होता। दसवें गुणस्थान तक दोनों कारण रहते हैं अतः वहाँ तक साम्परायिक बंध होता है। कषाय और योग से होने वाला बंध साम्परायिक बंध कहलाता है और वीतराग के योग के निमित्त से जो गमनागमन आदि क्रियाओं से कर्म बंध होता है वह ईर्यापथिक बंध कहलाता है / 70 ईर्यापथ कर्म की स्थिति उत्तराध्ययन७१ प्रज्ञापना७२ में दो समय की मानी है, और दिगम्बर ग्रन्थों में एवं पं० सुखलाल जी 3 ने सिर्फ एक समय की मानी है। योग होने पर भी अगर कषायाभाव हो तो उपाजित कर्म की स्थिति या रस का बंध नहीं होता। स्थिति और रस दोनों के बंध का कारण कषाय ही है। विस्तार से कषाय के चार भेद हैं-क्रोध, मान, माया और लोभ / 74 स्थानाङ्ग और प्रज्ञापना में कर्मबंध के ये चार कारण बताये हैं / संक्षेप में कषाय के दो भेद हैं--राग और द्वेष / 75 राग और द्वेष में भी उन चारों का समन्वय हो जाता है। राग में माया और लोभ-तथा द्वेष में क्रोध और -- - - 63. स्थानाङ्ग 418 64. समवायाङ्ग 5 समवाय 65. तत्वार्थ सूत्र 8.1 66. समवायाङ्ग 2 67. तत्त्वार्थ सूत्र 8 / 4 68. (क) स्थानाङ्ग 4 स्थान (ख) पंचम कर्मग्रन्थ गा० 96 69. तत्त्वार्थसूत्र 82 70. तत्त्वार्थसूत्र 65 71. उत्तराध्ययन अ० 21 पृ०७१ 72. प्रज्ञापना 23 / 13 पृ० 137 73. (क) समयट्ठिदिगो बंधो.............."गोम्मटसार कर्मकांड (ख) तत्त्वार्थसूत्र पं० सुखलाल जी, पृ० 217 74. (क) सूत्रकृताङ्ग 626 (ख) स्थानाङ्ग 4 / 1 / 251 (म) प्रज्ञापना २३॥श२९० 75. उत्तराध्ययन 3217 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003479
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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