________________ 78 ] [ विपाकसूत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध पृथ्वीकाय से निकलकर हस्तिनापुर नगर में मत्स्य के रूप में उत्पन्न होगा / वहां मच्छीमारों के द्वारा वध को प्राप्त होकर फिर वहीं हस्तिनापुर नगर में एक श्रेष्ठि-कुल में पुत्ररूप में उत्पन्न होगा / वहाँ से महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा। वहां पर चारित्र ग्रहण करेगा और उसका यथाविधि पालन कर उसके प्रभाव से सिद्ध होगा, बुद्ध होगा, मुक्त होगा और परमनिर्वाण को प्राप्त कर सर्व प्रकार के दुःखों का अन्त करेगा। // छठा अध्ययन समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org