SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 343
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 304] [प्रश्नव्याकरणसूत्र 21 13 250 13 मंडव मंडुक्क मंदर मंदुय मम्मणा मंस मिज मुगुंस यम रक्खस रक्खा रत्तसुभद्दा रतिकर रती (ई) रती(ई) रय रयण रयणागर रयणोरुजालिय रयय रयत्ताणं रयहरण रवि रसय मंडप मेढक मेरु पर्वत मन्दुक-जल तुतला बोलने वाला मांस मज्जा मंगुस—गिलहरी मूलव्रत-आजीवन व्रत राक्षस रक्षा, अहिंसा का 33 वां नाम रक्तसुभद्रा रतिकर पर्वत रति-प्रेम सन्तोष, अहिंसा का 7 वां नाम रज, कर्मरज 213 62 161 137 146 M 156 रत्न 253 200 247 रत्नाकर, समुद्र जांघों का भूषण चाँदी रज से रक्षक रजोहरण सूर्य रसज–रसों में उत्पन्न होने वाले जीव रथ राजविरुद्ध राजा अरिष्ट नामक बैल ऋद्धि, अहिंसा का 20 वां नाम ऋषि मण्डलाकार रुचकगिरि रौद्र रुक्मिणी हिरणविशेष रुरु देश रूप WGHWAGG रायदुट्ठ राया रिटुवसभ रिद्धि रिसग्रो रुचक (रुयग) वर 55 146 रुप्पिणी 224 137 255 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003478
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages359
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy