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________________ 292] [प्रश्नव्याकरणसूत्र 132 148 छत्त छरुप्पगयं छविच्छेप्रो छीरल छुद्दिय जक्ख जग जच्च जणवय जत(य)न जदिच्छाए जन्नो जमपुरिस जमकवर जराज्य जरासंधमाणमहणा ললাহ जलमए जलयर जल्ल जल्लोसहि जलय जव जवण जहण जाइ जाण जाणसाला जारिसो जाल जालक जाहक जिणेहिं जीवनिकाया जीवियंतकरणो 146 छत्र एक कला हिंसा का 21 वां नाम बाहुप्रों से चलने वाला जीव आभरणविशेष यक्ष-देवविशेष यकृत–पेट के दाहिनी तरफ रहने वाली मांसग्रन्थि उत्तम जातीय देश यजन अभयदान--अहिंसा का 48 वां नाम यदृच्छा यज्ञ, अहिंसा का 46 वां नाम यमपुरुष–परमाधर्मी देव यमकवर पर्वत जरायुज-जड़ के साथ उत्पन्न होने वाला जीव जरासन्ध राजा के मान को मथने वाले जल में रहने वाले कीड़े आदि जलकाय के जीव जलचर जल्लदेश या डोरी पर खेलने वाला एक प्रकार की लब्धि जलूका, जौंक जौ-जव यवन लोग जघन, जंघा जाति, जन्म यान यानशाला, वाहन आदि रखने का घर जैसा ज्वाला जालियां कांटों से ढका हुआ शरीर वाला जन्तु जिनेन्द्रदेवों द्वारा जीवनिकाय हिंसा का 22 वां नाम ov 500 m Murr rx rd or UMWWurx Www . www 45 117 عمر له سه له ته 15 231 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003478
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages359
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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