________________ समर्पण ল্প ওঠা-হাওয়ায় নিহত आगमों के अध्ययन के लिए तरसते थे, उस युग में सम्पूर्ण बत्तीसी का जिन्होंने एकाकी-असहायक रूप में अनुवाद कर के संघ और शासन का महान उपकार किया तथा अन्य विपुल साहित्य की रचना की-नूतन युग की प्रतिष्ठा की, जो अद्यतन काल में आगम-युग प्रवर्तक थे. जो सरलता, विनम्रता और विद्वत्ता के सजीव प्रतीक थे, जिनका पावन स्मरण आज भी भव्य जनों की अन्तरात्मा में श्रद्धा और भक्ति उपजाता है, उन परमपूज्य आचार्यवर्य श्री अमोलकऋषिजी महाराज के कर-कमलों में - मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org