________________ 14 ] [ अनुत्तरौपपातिकदशा यहाँ एक बात विशेष ज्ञातव्य है कि इस सूत्र के दोनों वर्गों में उल्लिखित तेईस मुनियों ने एकएक मास का पादपोपगमन अनशन किया था और तदनन्तर वे उक्त अनुत्तर विमानों में उत्पन्न हुए / __इस वर्ग में सम्यगदर्शन और सम्यगज्ञानपूर्वक सम्यक चारित्राराधना का शुभ फल दिखाया गया है। यह बात सर्व-सिद्ध है कि सम्यग्दर्शन और सम्यगज्ञान-पूर्वक अाराधन की हुई सम्यक् क्रिया ही कर्मों के क्षय करने में समर्थ हो सकती है। विभिन्न हस्तलिखित प्रतियों में कतिपय पाठ-भेद देखने में आते हैं तथापि ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र का प्रमाण होने से वे यहाँ नहीं दिखाये गये हैं / जिज्ञासुओं को वहीं से जान लेना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org