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________________ [166 अष्टम वर्ग] सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके छह उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके उपवास किया, करके सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया। इस तरह छठी लता पूर्ण हुई / पचोला किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके छ: उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके सात उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया करके उपवास किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके बेला किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके तेला किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया, करके चोला किया, करके सर्व कामगुणयुक्त पारणा किया। यह सातवीं लता पूर्ण हुई। इस प्रकार सात लताओं की परिपाटी का काल आठ मास और पांच दिन हमा। चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष पाठ मास और बीस दिन होता है / शेष पूर्ववत् / पूर्ण आराधना करके अन्त में संलेखना करके वीरकृष्णा भी सिद्ध बुद्ध मुक्त हो गई। विवेचन—महत्सर्वतोभद्र तप की प्रथम परिपाटी में तप के 166 होते हैं और पारणे के दिन 46 / इस प्रकार एक परिपाटी के कुल दिन 245 होते हैं। इनको चार गुणा करने पर चारों परिपाटियों के 180 दिन होते हैं / प्रस्तुत यंत्र में कहीं से भी गिनने पर संख्या 28 ही होती है / स्पष्टता के लिए देखें यंत्र। महालिया सव्वतोभई पडिमा 0000000 boo0000) 0000000 0000000 0000000 तपदिन 196 पारणे 46 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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