SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 182
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्तम वर्ग] [ 145 आर्य जंबू ने सुधर्मा स्वामी से पूछा-"भगवन् ! प्रभु ने सातवें वर्ग के तेरह अध्ययन कहे हैं तो प्रथम अध्ययन का हे पूज्य ! श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त प्रभु ने क्या अर्थ कहा है ?" आर्य सुधर्मा स्वामी ने कहा--"हे जंबू ! उस काल और उस समय में राजगृह नाम का नगर था। उसके बाहर गुणशीलनामक उद्यान था। वहाँ श्रेणिक राजा राज्य करता था। यहाँ राजवर्णन जान लेना चाहिए। श्रेणिक राजा की नन्दा नाम की रानी थी, उसका भी वर्णन औपपातिक सूत्र के राज्ञीवर्णन के समान समझ लेना चाहिए। प्रभु महावीर राजगृह नगर के उद्यान में पधारे / परिषद् वन्दन करने को निकली। नन्दा देवी भगवान् के आने का समाचार सुनकर बहुत प्रसन्न हुई और आज्ञाकारी सेवक को बुलाकर धार्मिक-रथ लाने की प्राज्ञा दी। पद्मावती की तरह इसने भी दीक्षा ली यावत् ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। बीस वर्ष तक चारित्र का पालन किया, अंत में सिद्ध हुई। नन्दवती आदि शेष बारह अध्ययन नन्दा के समान हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003476
Book TitleAgam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1981
Total Pages249
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy