________________ पहला अध्ययन : आनन्द गाथापति] [15 अइसेय-निरुवम-पले, जल्ल-मल्ल-कलंक-सेय-रय-दोस-वज्जिय-सरीरे, निरुवलेबे, छाया-उज्जोइर्यगमंगे, घण-निचिय-सुबद्ध-लक्खणुनय-कूडागार-निभ-पिडियग्गसिरए, सामलि–बोंडघण-निचिय-फोडिय-मिउ-विसय--पसत्य-सुहम-लक्खण--सुगंध-सुंदर -- भुयमोयग--- भिंग-नील---कज्जल-पहिठ्ठ-भमर-गण-निद्ध-निकुरंब निचिय-कुचिय-पयाहिणावत्तमुद्ध-सिरए, दाडिम-पुप्फ-पकास-तवणिज्ज-सरिस-निम्मल-सुणिद्ध-केसंत-केसभूमी, घण-निचिय-छत्तागारुत्तमंगदेसे, णिवण-सम-लट्ठ-मट्ठ-चंदद्ध-सम-णिडाले, उडुवइ-- पडिपुण्ण-सोम-वदणे, अल्लीण-पमाणजुत्त-सवणे, सुस्सवणे, पीण-मंसल कवोल देसभाए, आणामिय-चाव-रुइल-किण्हन्भ-राइ-तणु-कसिण-णिद्ध-भमुहे, अवदालिय-पुंडरीय–णयणे, कोयासिय-धवल-पत्तलच्छे, गरुलायत-उज्ज-तुग---णासे, उवचिय-सिलप्पवाल-बिंबफलसण्णिभाधरोटे, पंडुर-ससि-सयल-विमल-निम्मल-संख-गोक्खीर-फेण-कुद-दग-रयमणालिया-धवल--दंत-सेढी, अखंड-दंते, अप्फूडिय-दंते, अविरल-दंते, सुणिद्ध-दंते, सुजाय-दंते, एग-दंत--सेढीविव-अणेग-दंते,हुयवह-णिद्धंत-धोय-तत्त-तवणिज्ज-रत्ततल-तालु-जोहे,अवट्टिय. सुविभत्त-चित्त-मंसू, मंसल-संठिय-पसत्थ-सद्ल-विउल हणुए, चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबु-वर —सरिस-ग्गीवे, वर--महिस-वराह-सीह-सदूलउसभ–नाग-वर-पडिपुण्ण-विउलक्खंधे, जुग-सन्निभ--पीण रइय-पीवर-पउ?--संठिय-सुसिलिट्ठ-विसिटु-घण-थिर-सुबद्धसंधि-पुर-वर-फलिह-वट्टिय-भुए, भुय-ईसर-विउल--भोग-आदान-फलिह-उच्छूट-दोह-बाहू, रत्त तलोवइय---मउय-मंसल-सुजाय- लक्षण-पसत्य-अच्छिद्द-जाल-पाणी, पोवर-कोमल-वरंगुली, आयंबतंब-तलिण-सुइ-रुइल-णिद्ध-णक्खे, चंद-पाणि-लेहे, सूरपाणि-लेहे, संख-पाणि-लेहे,चक्कपाणि-लेहे, दिसा-सोत्थिय-पाणि-लेहे, चंद-सूर-संख-चक्क-दिसा-सोत्थिय-पाणि लेहे, कणग--सिला तलुज्जल–पसत्थ- समतल-उवचिय-विच्छिण्ण-पिहुल-वच्छे, सिरिवच्छं--- कियवच्छे, अकरंडुय-कणग-रुइय-निम्मल-सुजाय-निरुवय--देहधारी, अट्ठसहस्स--पडिपुण्णवरपरिस-लक्खणधरे, सण्णय-पासे,संगय-पासे, सदर-पासे, सजाय-पासे,मिय-माइय-पीण-रइयपासे, उज्जुय-सम-सहिय-जच्च-तणु-कसिण-णिद्ध-आइज्ज-लडह-रमणिज्ज-रोम-राई, झसविहग-सुजाय-पीण-कुच्छी, झसोयरे, सुइ–करणे, पउम–वियड–णाभे, गंगावत्तकपयाहिणावत्त-तरंग-भंगुर-रवि-किरण-तरुण-बोहिय-अकोसायंत-पउम-गंभीर-बियड-णाभे, साय--सोणंद-मुसल-दप्पण-णिकरिय-वर-कणग-च्छरु-सरिस-वर-वइर-वलिअ-मज्झे पमुइयवर-तुरय-सीह-वर-बट्टिय-कडी, वरतुरग-सुजाय-गुज्झ-देशे, आइणहउच्च-णिरुवलेवे, वर-वारण-तुल्ल-विक्कम-विलसिय-गई, गय-ससण-सुजाय-सन्निभोरू, समुग्ग-णिमग्ग-गूढ-जाणू, एणी--कुरुविंदावत्त -चट्टाणुपुटध-जंधे, संठिय-सुसिलिट्ठ-गूढ-गुप्फे, सुपइट्ठिय-कुम्म चारु--चलणे, अणुपुब्वसुसंहयंगुलीए, उण्णय-तणु-तंब-णिद्ध-णक्खे, रत्तुप्पल-पत- मउअ-सुकुमाल कोमल-तले, अट्ठसहस्स-वर-पुरिस-लक्खणधरे, नग-नगर-मगर-सागर-चक्कंक-वरंक-मंगलंकय-चलणे, विसिट्ठरूवे, हुयवह-निळूम जलिय-तडि-तडिय-तरुण-रवि-किरण-सरिस-तेए, अणासवे, अममे, अकिंचणे, छिन्न-सोए, निरुवलेवे, ववगय-पेम-राग-दोस-मोहे, निग्गंथस्स पवयणस्स देसए, सत्थ-नायगे, पइट्ठावए, समणग-पई, समण-विद-परिअट्टए चउत्तीस-बुद्ध -वयणातिसेसपत्ते, पणतीस-सच्च-वयणातिसेसपत्ते, आगास-गएणं चक्केणं, आगास-गएणं छत्तेणं, आगास-गयाहिं सेय-चामराहि, आगास-फलिआगएणं, सपायपीढणं, सीहासणेणं, धम्मज्झएणं पुरओ पढिज्जमाणेणं, चउद्दसहि समण-सहस्सीहि, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org