________________ परिशिष्ट 2 : प्रयुक्त-ग्रन्थ-सूची अनुवाद, विवेचन, प्रस्तावना आदि के सन्दर्भ में व्यवहृत कान्थों की सूची अनुयोगद्वारसूत्र अभिधानराजेन्द्र कोष अष्ट प्राभृत : श्रीकुन्दकुन्दाचार्य अष्टाङ्गहृदयम्, सटीकम् [ऋषिकल्पश्रीवाग्भटप्रणीतम्, विद्वद्वरश्रीमदरुणदत्तकृता सर्वाङ्गसुन्दराख्या टीका, श्रीमदाचार्यमौद्गल्यकृता मौद्गल्यटिप्पणी च, प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास, पंजाब संस्कृत बुक डिपो, सैदमिट्ठा स्ट्रीट, लाहौर, सन् 1933 ई०] अंगसुत्ताणि 3 [संपादक : मुनि श्री नथमलजी प्रकाशक : जैन विश्वभारती, लाडन् विक्रमान्द 2031] अंगुत्तरनिकाय आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन खण्ड 1 : इतिहास और परम्परा [लेखक : मुनि श्री नगराजजी डी० लिट प्रकाशक : जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, 3, पोर्चुगीज चर्च स्ट्रीट, कलकत्ता-१ प्रथम संस्करण : सन् 1969 ई.] आचारांग-चूर्णि आवश्यक-नियुक्ति THE UTTARADHYAYANA SUTRA [Translated from Prakrit by Hermann Jacobi OXFORD, at the CLARENDON PRESS, 1895) उत्तराध्ययनसूत्रम्, संस्कृतच्छाया-पदर्थान्वय-मूलार्थोपेतम्, [अनुवादक : जैनधर्मदिवाकर, जैनागमरत्नाकर उपाध्याय श्री आत्मारामजी महाराज प्रकाशक : जैन शास्त्रमाला कार्यालय, सैदमिट्ठा बाजार, लाहौर, वि० 1996] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org