________________ संचालन के लिये ब्यावर में 'श्री आगम प्रकाशन समिति' के नाम से संस्था स्थापित कर आवश्यक धनराशि की व्यवस्था कर दी। प्रारम्भ में प्राचारांग आदि नामक्रमानुसार शास्त्रों को प्रकाशित करने का विचार किया गया था, किन्तु ऐसा अनुभव हुआ कि भगवती जैसे विशाल आगम का संपादन अनुवाद होने आदि में बहुत समय लगेगा और तब तक अन्य आगमों के प्रकाशन को रोक रखने से समय भी अधिक लगेगा और पाठकवर्ग को सैद्धान्तिक वोध कराने के लिये योजना प्रारम्भ की है, वह उद्देश्य भी पूरा होने में विलम्ब होगा तथा यथाशीघ्र शुभ कार्य को सम्पन्न करना चाहिये। अत: यह निर्णय हुआ कि जो-जो शास्त्र तैयार होते जायें, उन्हें ही प्रकाशित कर दिया जाये। जैसे-जैसे आगम ग्रन्थ प्रकाशित होते गये, वैसे-वैसे पाठकवर्ग भी विस्तृत होता गया एवं अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी इन ग्रन्थों को निर्धारित किया गया / अतः पुनः यह निश्चय किया गया कि प्रथम संस्करण की प्रतियों के अप्राप्य हो जाने पर द्वितीय संस्करण भी प्रकाशित किये जायें, जिससे सभी पाठकों को पूरी आगमबत्तीसी सदैव उपलब्ध होती रहे। एतदर्थ इस निर्णयनुसार अभी आचारांरसूत्र और उपासकदशांगसूत्र के द्वितीय संस्करण प्रकाशित हो रहे हैं तथा ज्ञाताधर्मकथांग आदि सूत्र भी यथाशीघ्र प्रकाशित होंगे। द्वितीय संस्करण के प्रकाशन में लागत व्यय की वृद्धि हो जाने पर भी ग्रन्थों के मूल्य में सामान्य वृद्धि की गई है। अनेक प्रबुद्ध सन्तों, विद्वानों तथा समाज ने प्रस्तुत प्रकाशनों की प्रशंसा करके हमारे उत्साह का संवर्धन किया है और सहयोग दिया है, उसके लिये आभारी हैं तथा पाठकवर्ग से अपेक्षा है कि आगम साहित्य के अध्ययन-अध्यापन, प्रचार-प्रसार में हमारे सहयोगी बनें। इसी पाशा और विश्वास के साथ रतनचन्द मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष सायरमल चोरडिया अमरचन्द मोदी महामन्त्री मन्त्री श्री पागम प्रकाशन समिति, ब्यावर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org