________________ 474 Mmxr 489 495 श्री सुधर्मा द्वारा समाधान नौका-बणिकों का कालिकद्वीप-गमन कालिकद्वीप के पाकर और अश्व अश्वों का अपहरण कथानक का निष्कर्ष विषयलोलुपता का दुष्परिणाम इन्द्रियलोलुपता का दुष्फल इन्द्रियसंवर का सुफल कर्तव्य निर्देश अठारहवाँ अध्ययन : सुसुमा सार : संक्षेप उत्क्षेप चिलात दास चेटक : उसकी शैतानी दासचेटक की शिकायतें दास चेटक का निष्कासन दासचेटक दुर्व्यसनी बना चोर सेनापति की शरण में चिलात चोर-सेनापति बना धन्य सार्थवाह के घर की लूट : धन्य कन्या का अपहरण नगर रक्षकों के समक्ष फरियाद चिलात का पीछा किया सुसुमा का शिरच्छेदन धन्य का शोक पाहार-पानी का प्रभाव धन्य सार्थवाह का प्राणत्याग प्रस्ताव ज्येष्ठ पुत्र की प्राणोत्सर्ग की तैयारी अन्तिम निर्णय राजगह में वापिसी निष्कर्ष 496 496 498 499 502 0 0 0 0 0 CXCCCXCX 0 0 0 0 0 उन्नीसवाँ अध्ययन : पुण्डरीक सार : संक्षेप श्री जम्बू की जिज्ञासा सुधर्मास्वामी द्वारा समाधान महापद्म राजा की दीक्षा : सिद्धिप्राप्ति 513 74 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org