________________ (24) गंधजुत्ति—सुगंधित पदार्थ बनाने की कला (25) मधुसित्थं-मधुरादि छह रस संबंधी कला (26) प्राभरणविहि-अलंकार निर्माण व धारण की कला (27) तरुणीपडिकम्म---स्त्री को शिक्षा देने की कला (28) इत्थीलक्खणं--स्त्री के लक्षण जानने की कला (29) पुरिसलक्खणं-पुरुष के लक्षण जानने की कला (30) हयलक्खणं- घोड़े के लक्षण जानने की कला (31) गयलक्खणं-हस्ती के लक्षण जानने की कला (32) गोलक्खण --गाय के लक्षण जानने की कला (33) कुक्कुडलक्खणं-कुक्कुट के लक्षण जानने की कला (34) मिढियलक्खणं-मेंढे के लक्षण जानने की कला (35) चक्कलक्खणं-चक्र के लक्षण जानने की कला (36) छत्रलक्वणं- छत्र के लक्षण जानने की कला (37) दण्डलक्खणं--दण्ड के लक्षण जानने की कला (38) असिलक्खणं-तलवार के लक्षण जानने की कला (39) मणिलक्खणं- मणि के लक्षण जानने की कला (40) कागणिलक्खणं- काकिणी-चक्रवर्ती के रत्न विशेष के लक्षण को जानने की कला (41) चम्मलवखणं--- चर्म लक्षण जानने की कला (42) चंदलक्खणं--चन्द्र लक्षण जानने की कला (43) सूरचरियं--सूर्य प्रादि की गति जानने की कला (44) राहुचरिय-राहु आदि की गति जानने की कला (45) गहचरियं-ग्रहों की गति जानने की कला (46) सोभागकरं-सौभाग्य का ज्ञान (47) दोभागकर दुर्भाग्य का ज्ञान (48) विज्जागयं-रोहिणी, प्रज्ञप्ति प्रादि विद्या सम्बन्धी ज्ञान (49) मंतगयं-मन्त्र साधना प्रादि का ज्ञान (50) रहस्सगयं--गुप्त वस्तु को जानने की कला (51) सभासं--प्रत्येक वस्तु के वृत्त का ज्ञान (52) चारं-सैन्य का प्रमाण प्रादि जानना (53) पडिचार----सेना को रणक्षेत्र में उतारने की कला (54) बूहं- व्यूह रचने की कला (55) पडिहंप्रतिव्यूह रचने की कला (56) खंधावारमाणं-सेना के पडाव का प्रमाण जानना (57) नगरमाणं-नगर का प्रमाण जानने की कला (58) वत्थुमाणं-वस्तु का प्रमाण जानने की कला (59) खंधावारनिवेसं-सेना का पडाव आदि डालने का परिज्ञान 33 Jain Education International, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org