________________ अष्टम शतक : उद्देशक- 1 [305 एक्कविहं वा एक्कविहेणं पडिक्कमति / तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करतं गाणुजाणति, मणसा वयसा कायसा 1 / तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं माणुजाणति, मणसा बयसा 2; अहवा न करेति, न कारवेति, करेंतं नाणुजाणति, मणसा कायसा 3; अहवा न करेइ, न कारवेति, करेंतं णाणुजाति, वयसा कायसा 4 / तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति, न कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, मणसा 5; अहवा न करेइ, ण कारवेति, करेंतं णाणुजाणति, वयसा 6; अहवा न करेति, न कारवेति, करेंत पाणुजाणति, कायसा 7 / दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेति, मण सा वयसा कायसा 8; प्रहवा न करेति, करतं नाणुजाणइ, मणसा वयसा कायसा ; अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ; मणमा वयसा काय सा 10 / दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति, मणसा वयसा 11; अहवा न करेति, न कारवेति, मणसा कायसा 12; अहवा न करेति, न कारवेति, वयसा कायसा 13; अहवा न करेति, करेंतं नाणजाणइ, मणसा क्यसा 14; अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा कायसा 15; अहवा न करेति, करेंतं नाणुजाणति, वयसा कायसा 16; अहवा न कारवेति, करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा 17; अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा कायसा 18; अहवा न कारवेति, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा 19 / दुविहं एक्कविहेणं पडियकममाणे न करेति, न कारवेति, मणसा 20; प्रहबा न करेति, न कारवेति वयसा 21; अहवा न करेति, न कारवेति कायसा 22; प्रहवा न करेति, करतं नाणजाणइ, मणसा 23; अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणति, वयसा 24; अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ, कायसा 25; अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, मणसा 26; प्रहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, वयसा 27; प्रहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ, कायसा 28 / एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा वयसा कायसा 26; प्रहवा न कारवेइ मणसा बयसा कायसा 30; प्रहह्वा करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा कायसा 31; एक्कविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा वयसा 32; अहवा न करेति मणसा कायसा 33; अहवा न करेइ वयसा कायसा 34; प्रहवा न कारवेति मणसा वयसा 35; अहवा न कारवेति मणसा कायसा 36; ग्रहवा न कारवेइ क्यसा कायसा 37; अहवा करेंतं नाणुजाणति मणसा वयसा 38; अहवा करतं नाणुजाणति मणला कायसा 39; अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा 40 / एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा 41; अहवा न करेति वयसा 42; अहवा न करेति कायसा 43; प्रहवा न कारवेति मणसा 44; प्रहवा न कारवेति वयसा 45; अहवा न कारवेइ कायसा 46; अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा 47; अहवा करत नाणुजाणति वयसा 48; अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा 46 / [6-2 प्र.] भगवन् ! अतीतकालीन प्राणातिपात आदि का प्रतिक्रमण करता हुआ श्रमणोपासक, क्या 1. त्रिविध-त्रिविध (तीन करण, तीन योग से), 2. त्रिविध-द्विविध (तीन करण, दो योग से), 3. विविध-एक विध (तीन करण, एक योग से) 4. द्विविध-त्रिविध (दो करण, तीन योग से), 5. द्विविध-द्विविध (दो करण, दो योग से), 6. द्विविध-एकविध (दो करण, एक योग से), 7. एकविध-त्रिविध (एक करण, तीन योग से), 8. एकविध-द्विविध (एक करण, दो योग से) अथवा 6. एकविध एकविध (एक करण, एक योग से) प्रतिक्रमण करता है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org