________________ 270 ] . | व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [66-2 प्र.] भगवन् ! केवलज्ञानलब्धिरहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? [96-2 उ.] गौतम ! वे ज्ञानी भी हैं और अज्ञानी भी हैं / उनमें या तो केवलज्ञान को छोड़ कर शेष 4 ज्ञान और 3 अज्ञान भजना से पाए जाते हैं / 67. [1] अण्णाणलधिया णं० पुच्छा। गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी; तिण्णि अण्णाणाई भयणाए / [97-1 प्र.] भगवन् ! अज्ञानलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी हैं ? [97-1 उ.] गौतम ! वे ज्ञानी नहीं, अज्ञानी हैं। उनमें तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। [2] तस्स अलद्धिया गं० पुच्छा। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी / पंच नाणाई भयणाए। [17-2 प्र.] भगवन् ! अज्ञानल ब्धि से रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? [97-2 उ.] गौतम ! वे ज्ञानी हैं, अज्ञानी नहीं। उनमें 5 ज्ञान भजना से पाए जाते हैं / 18. जहा अण्णाणस्स लधिया अलधिया य भणिया एवं मइअण्णाणस्स, सुयप्रणाणस्स य लधिया प्रलद्धिया य भाणियन्या / [98] जिस प्रकार अज्ञानलब्धि और अज्ञानलब्धि से रहित जीवों का कथन किया है, उसी प्रकार मति-अज्ञान और श्रुत-अज्ञानलब्धि वाले तथा इन लब्धियों से रहित जीवों का कथन करना चाहिए। 66. विभंगनाणलधियाणं तिणि अण्णाणाई नियमा। तस्स अलधियाणं पंच नाणाई भयणाए / दो घण्णाणाई नियमा। [99] विभंगज्ञान-लब्धि से युक्त जीवों में नियमत: तीन अज्ञान होते हैं और विभंगज्ञानलब्धिरहित जीवों में पांच ज्ञान भजना से और दो अज्ञान नियमत: होते हैं। 100. [1] दंसणलधिया गं भंते ! जीवा कि नाणी, अण्णाणी ? गोयमा! नाणी वि, अण्णाणी वि / पंच नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई भयणाए। [100-1 प्र.] भगवन् ! दर्शनलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी हैं ? [100-1 उ] गौतम ! वे ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी। उनमें पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी? गोयमा ! तस्स अलधिया नस्थि / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org