________________ 228] [व्याख्याप्राप्तिसून 57. जदि एगिदियोरालियसरीरकायप्पओगपरिणए कि पुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए जाव वणस्सइकाइयएगिदियोरालियसरीरकायप्पनोगपरिणए वा ? गोयमा! पुढविक्काइयएगिदिय जाव पयोगपरिणए वा जाव वणस्सइकाइयगिदिय जाव परिणए वा। [५७-प्र.] भगवन् ! जो एक द्रव्य, एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत होता है; क्या वह पथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा यावत् बह वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-श्रौदारिकशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है ? [५७-उ.] हे गौतम ! वह पृथ्वी कायिक-एकेन्द्रिय-ौदारिकशरीर-काय-प्रयोग-परिणत होता है, अथवा यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-प्रौदारिक-शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है। 58. जदि पुढविकाइयएगिदियोरालियसरीर जाव परिणए कि सुहमपुढविकाइय जाव परिणए ? बादरपुढविष्काइयएगिदिय जाब परिणए ? गोयमा ! सुहुमपुढविक्काइयएगिदिय जाव परिणए बा, बादरपुढविक्काइय जाव परिणए वा। [५८-प्र.] भगवन् ! यदि वह एक द्रव्य, पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय औदारिक शरीर-कायप्रयोगपरिणत होता है, तो क्या वह सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-ग्रौदारिकशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा बादरपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-ौदारिक-शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है ? [५८-उ.] गौतम ! वह सूक्ष्मपृथ्वी कायिक-एकेन्द्रिय-प्रौदारिकशरीर-कायप्रयोग परिणत होता है अथवा बादरपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है। 56. [1] जदि सुहुमपुढविकाइय जाव परिणए कि पज्जत्तसुहमपुढवि जाव परिणए ? अपज्जत्तसुहुमपुढवी जाव परिणए ? / गोयमा! पज्जत्तसुहमपुढ विकाइय जाव परिणए वा, अपज्जत्तसुहमपुढयिकाइय जाव परिणए वा। [56-1 प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-प्रौदारिकशरीर-कायप्रयोगपरिणत होता है तो क्या वह पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है, अथवा अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वी कायिक-एकेन्द्रिय-ौदारिकशरीर-कायप्रयोग-परिणत होता है ? [56-1 उ.] गौतम ! यह पर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-ौदारिकशरीर-कायप्रयोगपरिणत होता है, या वह अपर्याप्त-सूक्ष्म-पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिक-शरीर-कायप्रयोग-परिणत भी होता है। [2] एवं बादरा वि। [56-2] इसी प्रकार बादर-पृथ्वीकायिक (-एकेन्द्रिय-प्रौदारिक-शरीर-काय-प्रयोग-परिणत एक द्रव्य) के विषय में भी (पर्याप्त-अपर्याप्त प्रकार) समझ लेना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org