________________ 226 ] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [50 उ.] गौतम ! वह मनःप्रयोगपरिणत होता है या वचन-प्रयोग-परिणत होता है अथवा कायप्रयोगपरिणत होता है। 51. जदि मणप्पअरेगपरिणए कि सच्चमणप्पयोगपरिणए ? मोसमणप्पयोग ? सच्चामोसमणप्पयो० ? असच्चामोसमणप्पयो ? गोयमा ! सच्चमणप्पयोगपरिणए वा, मोसमणप्पयोग० वा, सच्चामोसमणप्प०, प्रसच्चामोसमणप्प० वा। [51 प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य मन:प्रयोग-परिणत होता है तो क्या वह सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, अथवा मृषा-मन:प्रयोगपरिणत होता है, या सत्य-मृषा-मनःप्रयोग-परिणत होता है, या असत्यामृषा-मनःप्रयोग-परिणत होता है ? [51 उ.] गौतम ! वह सत्यमन:प्रयोगपरिणत होता है, अथवा मृषामन:प्रयोगपरिणत होता है, या सत्य-मृषामन:प्रयोगपरिणत होता है या फिर असत्यामृषामनःप्रयोग-परिणत होता है / 52. जदि सच्चमणध्वनोगप० कि प्रारंभसच्चमणप्पयो ? अणारंभसच्चमणप्पयोगपरि० ? सारंभसच्चमणप्पयोग ? असारंभसच्चमण ? समारंमसच्चमणप्पयोगपरि०? असमारंभसच्चमणध्पयोगपरिणए? गोयमा ! प्रारंभसच्चमणप्पप्रोगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणप्पयोगपरिणए वा। {52 प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य, सत्यमनःप्रयोग-परिणत होता है तो क्या वह आरम्भसत्य मनःप्रयोग-परिणत होता है, अनारम्भ-सत्यमनःप्रयोग-परिणत होता है, सारम्भ-सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है, असारम्भ-सत्यमनःप्रयोग-परिणत होता है, समारम्भ-सत्यमन:प्रयोगपरिणत होता है अथवा असमारम्भ-सत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है ? [52 उ.] गौतम ! वह प्रारम्भ-सत्यमन:प्रयोगपरिणत होता है, अथवा यावत् असमारम्भसत्यमनःप्रयोगपरिणत होता है / / 53. [1] दि मोसमणप्पयोगपरिणए कि प्रारंभमोसमणप्पयोगपरिणए बा ? एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि / [53-1 प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य, मृषामनःप्रयोग-परिणत होता है, तो क्या वह आरम्भ-मृषामनःप्रयोग-परिणत होता है, अथवा यावत् असमारम्भ-मृषामनःप्रयोग-परिणत होता है ? [53-1 उ.] गौतम ! जिस प्रकार (पूर्वोक्त विशेषणयुक्त) सत्यमनःप्रयोग-परिणत के विषय में कहा है, उसी प्रकार (पूर्वोक्त विशेषणयुक्त) मृषामनःप्रयोग-परिणत के विषय में भी कहना चाहिए। [2] एवं सच्चामोसमणप्पयोगपरिणए वि / एवं असच्चामोसमणप्पयोगेण वि। [53-2] इसी प्रकार (पूर्वोक्त विशेषणों से युक्त) सत्यमृषा-मनःप्रयोग-परिणत के विषय में भी तथा इसी प्रकार असत्य-मृषामनःप्रयोग-परिणत के विषय में भी कहना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org