________________ 144] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [18-1 प्र.] भगवन् ! क्या वास्तव में, जिस कर्म का वेदन करेंगे, उसकी निर्जरा करेंगे, और जिस कर्म की निर्जरा करेंगे, उसका वेदन करेंगे? [18-1 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / [2] से केण?णं जाव 'जो तं वेदिस्संति' ? गोयमा ! कम्मं बेदिस्संति, नोकम्मं निजरिस्संति / से तेण?णं जाव नो तं निजरि (वेदि) स्संति / [18-2 प्र] भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि यावत् उसका वेदन नहीं करेंगे? [18-2 उ.] गौतम ! कर्म का वेदन करेंगे, नोकर्म की निर्जरा करेंगे / इस कारण से, हे गौतम ! ऐसा कहा जाता है कि जिसका वेदन करेंगे, उसकी निर्जरा नहीं करेंगे, और जिसको निर्जरा करेंगे, उसका वेदन नहीं करेंगे। 16. एवं नेरतिया वि जाव वैमाणिया। _ [16] इसी तरह नैरयिकों के विषय में जान लेना चाहिए / यावत् वैमानिकपर्यन्त चौवीस ही दण्डकों में इसी तरह कहना चाहिए। 20. [1] से गुणं भते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए, जे निज्जरासमए से वेदणासमए ? गोयमा ! नो इण? समठ्ठ / [20-1 प्र.] भगवन् ! जो वेदना का समय है, क्या वह निर्जरा का समय है और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय है ? [20-1 उ.] गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है / [2] से केण?णं माते ! एवं वुच्चति 'जे वेदणासमए न से णिज्जरासमए, जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ? गोयमा ! जं समयं वेति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेति; अन्नम्मि समए वेदेति, अन्नम्मि समए निज्जरेंति; अन्ने से वेदणासमए, अन्ने से निज्जरासमए / से तेण?णं जाव न से वेदणासमए / [20-2 प्र.] भगवन् ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि जो वेदना का समय है, वह निर्जरा का समय नहीं है और जो निर्जरा का समय है, वह वेदना का समय नहीं है ? [20-2 उ.] गौतम ! जिस समय में वेदते हैं, उस समय निर्जरा नहीं करते, और जिस समय निर्जरा करते हैं, उस समय वेदन नहीं करते / अन्य समय में वेदन करते हैं और अन्य समय में निर्जरा करते हैं / वेदना का समय दूसरा है और निर्जरा का समय दूसरा है। इसी कारण से, हे गौतम ! मैं कहता हूँ कि "यावत् निर्जरा का जो समय है, वह वेदना का समय नहीं है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org