________________ 404] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र हंता, गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दोवे सूरिया उदीण-पादोणमुग्गच्छ जाव' उदोचि-पादोणमागच्छति। [4 प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में सूर्य क्या उत्तरपूर्व (ईशान-कोण) में उदय हो कर पूर्वदक्षिण (आग्नेय कोण) में अस्त होते (होने आते) हैं ? अथवा प्राग्नेय कोण में उदय होकर श्चिम (नैऋत्य कोण) में अस्त होते हैं? अथवा नैऋत्य कोण में उदय होकर पश्चिमोत्तर (वायव्यकोण) में अस्त होते हैं, या फिर पश्चिमोत्तर (वायव्य कोण) में उदय होकर उत्तरपूर्व (ईशान कोण) में अस्त होते हैं ? [4 उ.] हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप में सूर्य उत्तरपूर्व-ईशान कोण में उदित हो कर अग्निकोण (पूर्व-दक्षिण) में प्रस्त होते हैं, यावत् (पूर्वोक्त कथनानुसार)...... ईशानकोण में अस्त होते हैं / 5. जदा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणडढे दिबसे भवति तदा णं उत्तरड्ढे दिवसे भवति ? जदा णं उत्तरड्ढे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिम-पच्चत्थिमेणं राती भवति? ___ हता, गोयमा ! जदा णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे जाव राती भवति / [5 प्र.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन होता है, तब क्या उत्तरार्द्ध में भी दिन होता है ? और जब जम्बूद्वीप के उत्तरार्द्ध में दिन होता है, तब क्या मेरुपर्वत से पूर्व-पश्चिम में रात्रि होती है ? [5 उ.] हाँ, गौतम ! (यह इसी तरह होता है; अर्थात्--) जब जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध में दिन में होता है, तब यावत् रात्रि होती है। 6. जदा णं भंते ! जंबु० मंदरस्स पन्वयस्स पुरथिमेणं दिवसे भवति तदा णं पच्चस्थिमेश वि दिवसे भवति ? जदा णं पच्चस्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे दोवे मंदरस्स पव्वयस्त उत्तरदाहिणेणं रातो भवति ? हंता, गोयमा! जदा गं जबु० मंदर० पुरस्थिमेणं दिवसे जाव राती भवति / [6 प्र.] भगवन् ! जब जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से पूर्व में दिन होता है, तब क्या पश्चिम में भी दिन होता है ? और जब पश्चिम में दिन होता है, , तब क्या जम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से उत्तर-दक्षिण में रात्रि होती है ? [6 उ.] गौतम ! हाँ, इसी प्रकार होता है; अर्थात् जब जम्बूद्वीप में मेरुपर्वत से पूर्व में दिन होता है, तब यावत्-रात्रि होती है। विवेचन जम्बूद्वीप में सर्यों के उदय-अस्त एवं दिवस-रात्रि से सम्बन्धित प्ररूपणा-प्रस्तुत चार सूत्रों में से दो सूत्रों में जम्बूद्वीपान्तर्गत सूर्यों का विभिन्न विदिशाओं (कोणों) से उदय और अस्त का निरूपण किया गया है, तथा पिछले दो सूत्रों में जम्बूद्वीप के दक्षिणार्द्ध, उत्तराद्ध, पूर्व-पश्चिम, पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण आदि की अपेक्षा से दिन और रात का प्ररूपण किया गया है। 1. यहाँ 'जाव' पद से सम्पूर्ण प्रश्नगत वाक्य सूचित किया गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org