________________ सत्तमो उद्देसओ : 'लोगपाला' सप्तम उद्देशक : लोकपाल शक्रेन्द्र के लोकपाल और उनके विमानों के नाम 1. रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी--- [1] राजगृह नगर में यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने इस प्रकार कहा (पूछा--) 2. सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरण्णो कति लोगपाला पण्णता? गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णता, तं जहा–सोमे जमे वरुणे वेसमणे / [2 प्र.] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक के कितने लोकपाल कहे गए हैं ? [2 उ.] गौतम ! चार लोकपाल कहे गए हैं; वे इस प्रकार हैं-सोम, यम वरुण और वैश्रमण / 3. एतेसि गं भंते ! चउण्हं लोगपालाणं कति विमाणा पण्णत्ता? गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा–संझप्पभे वरसि? सतंजले वग्गू / [3 प्र.] भगवन् ! इन चारों लोकपालों के कितने विमान कहे गए हैं ? [3 उ.] 'गौतम ! इन चार लोकपालों के चार विमान कहे गए हैं, जैसे कि सन्ध्याप्रभ, वरशिष्ट, स्वयंज्वल और वल्गु / ' विवेचन-शकेन्द्र के लोकपाल एवं उनके विमानों के नाम-प्रस्तुत तीन सूत्रों में से प्रथम सूत्र में राजगृह नगर में गौतम स्वामी द्वारा पूछा गया प्रश्न है। उसके उत्तर में शक्रेन्द्र के चार लोकपालों तथा उनके चार विमानों का नामोल्लेख किया गया है। सोम-लोकपाल के विमानस्थान प्रादि से सम्बन्धित वर्णन 4. [1] कहि णं भंते ! सक्कस्स देविदस्स देवरण्यो सोमस्स महारष्णो संझप्पभे णाम महाविमाणे पण्णत्ते? गोयमा ! जंबुद्दीबे 2 मंदरस्स पब्वयस्त दाहिणेणं इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जामो भूमिभागाओ उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं बहूई जोयणाई जाव पंच डिसया पण्णत्ता, तं जहा--असीयव.सए सत्तवण्णवडिसए चंपयवडिसए चूयडिसए मज्झे सोहम्मवडिसए / तस्स णं सोहम्मत्र.स यस्स महाविमाणस्स पुरस्थिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेज्जाई जोयणाई वीतीवइत्ता एस्थ गं सक्कस्स देविदस्स देवरग्णो सोमस्स महारण्णो संझपभे नामं महाविमाणे पण्णत्ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org