________________ तृतीय शतक : उद्देशक-५] [361 पंचम उद्देशक को संग्रहणी गाथाएँ१६. गाहा-इत्थी असो पडागा जण्णोवइते य होइ बोद्धध्वे / पल्हस्थिय पलियंके अभियोगविकुव्वणा मायो // 1 // // तइए सए : पंचमो उद्देसो समत्तो।। (16) संग्रहणीगाथा का अर्थ-स्त्री, असि (तलवार), पताका, यज्ञोपवीत (जनेऊ), पल्हथी, पर्यकासन, इन सब रूपों के अभियोग और विकुर्वणा-सम्बन्धी वर्णन इस (पंचम) उद्देशक में है / तथा ऐसा कार्य (अभियोग तथा विकुर्वणा का प्रयोग) मायी करता है, यह भी बताया गया है। // तृतीय शतक : पंचम उद्देशक समाप्त / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org