________________ 330 ] | व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र 5. पावोसिया णं भंते ! किरिया कतिविहा पण्णता ? मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जीवपादोसिया य प्रजीवपादोसिया य / [5 प्र.] भगवन् ! प्राद्वेषिकी क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [5 उ.] मण्डितपुत्र ! प्राद्वेषिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकार-जीवप्राद्वेषिकी क्रिया और अजीव-प्राद्वेषिकी क्रिया। 6. पारितावणिया णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ? मंडियपुत्ता ! दुविहा पणत्ता, तं जहा---सहत्थपारितावणिगा य परहस्थपारितावणिगा य / [6 प्र.] भगवन् ! पारितापनिकी क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [6 उ.] मण्डितपुत्र! पारितापनिकी क्रिया दो प्रकार की कही गई है / वह इस प्रकारस्वहस्तपारितापनिकी और परहस्तपारितापनिकी / 7. पाणातिवातकिरिया णं भंते ! * पुच्छा / मंडियपुत्ता! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपाणातिवातकिरिया य परहत्थपाणातिवातकिरिया या [7 प्र] भगवन् ! प्राणातिपात-क्रिया कितने प्रकार की कही गई है ? [7 उ.} मण्डितपुत्र ! प्राणातिपात-क्रिया दो प्रकार की कही गई है। वह इस प्रकारस्वहस्त-प्राणातिपात-क्रिया और परहस्त-प्राणातिपात-क्रिया / 8. पुन्वि भंते ! किरिया पच्छा वेदणा? पुग्वि वेदणा पच्छा किरिया। मंडियपुत्ता ! पुटिव किरिया, पच्छा वेदणा; णो पुन्वि वेदणा, पच्छा किरिया। [प्र.] भगवन् ! पहले क्रिया होती है, और पीछे वेदना होती है ? अथवा पहले वेदना होती है, पीछे क्रिया होती है ? [8 उ.] मण्डितपुत्र ! पहले क्रिया होती है, बाद में बेदना होती है; परन्तु पहले वेदना हो और पीछे क्रिया हो, ऐसा नहीं होता। है. अस्थि णं भंते ! समणाणं निगंथाणं किरिया कज्जइ ? हंता, अस्थि। [प्र.] भगवन् ! क्या श्रमण-निर्ग्रन्थों के (भी) क्रिया होती (लगती) है ? [6 उ.] हाँ, (मण्डितपुत्र ! उनके भी क्रिया) होती (लगती) है / 10. कहं गं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जद ? मंडियपुत्ता! पमायपच्चया जोगनिमित्तं च, एवं खलु समणाणं निग्गंधाणं किरिया कज्जति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org