________________ तृतीय शतक : उद्देशक-१] [273 [21] इसी तरह (ईशानेन्द्र के अन्य) सामानिक देव, त्रायस्त्रिशक देव एवं लोकपाल तथा अग्रमहिषियों (की ऋद्धि, विकुर्वणाशक्ति आदि) के विषय में जानना चाहिए। यावत्-हे गौतम ! देवेन्द्र देवराज ईशान को अग्रमहिषियों की इतनी यह विकुर्वणाशक्ति केवल विषय है, विषयमात्र है, परन्तु सम्प्राप्ति द्वारा कभी इतना वैक्रिय किया नहीं, करती नहीं, और भविष्य में करेगी भी नहीं, (यहाँ तक सारा पालापक कह देना चाहिए ) / 22. [1] एवं सर्णकुमारे वि, नवरं चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अदुत्तरं च णं तिरियमसंखेज्जे। [22-1] इसी प्रकार सनत्कुमार देवलोक के देवेन्द्र (की ऋद्धि यादि तथा विकुर्वणाशक्ति) के विषय में भी समझना चाहिए / विशेषता यह है कि (सनत्कुमारेन्द्र की विकुर्वणाशक्ति) सम्पूर्ण चार जम्बूद्वीपों जितने स्थल को भरने की है और तिरछे उसकी विकुर्वणाशक्ति असंख्यात (द्वीप समुद्रों जितने स्थल को भरने को) है। [2] एवं सामाणिय-तायत्तीस-लोगपाल-अग्गमाहिसीणं असंखेज्जे दीव-समुद्दे सव्वे विउब्वति / [22-2] इसी तरह (सनत्कुमारेन्द्र के) सामानिक देव, त्रायस्त्रिशक, लोकपाल एवं अग्रमहिषियों को विकुर्वणाशक्ति असंख्यात द्वीप समुद्रों जितने स्थल को भरने की है। (शेष सब बातें पूर्ववत् समझनी चाहिए)। 23. सणंकुमाराम्रो प्रारद्धा उरिल्ला लोगपाला सव्वे वि असंखेज्जे दीव-समुद्दे विउम्वति / [23] सनत्कुमार से लेकर ऊपर के (देवलोकों के) सब लोकपाल असंख्येय द्वीप-समुद्रों (जितने स्थल) को भरने की वैक्रियशक्ति वाले हैं / 24. एवं माहिदे वि / नवरं साइरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे / [24] इसी तरह माहेन्द्र (नामक चतुर्थ देवलोक के इन्द्र तथा उसके सामानिक प्रादि देवों की ऋद्धि आदि) के विषय में भी समझ लेना चाहिए। किन्तु इतनी विशेषता है कि ये सम्पूर्ण चार जम्बूद्वीपों (जितने स्थल को भरने) की विकुर्वणाशक्ति वाले हैं। 25. एवं बंभलोए वि, नवरं अट्ठ केवलकप्पे० / [25] इसी प्रकार ब्रह्मलोक (नामक पंचम देवलोक के इन्द्र तथा तदधीन देववर्ग की ऋद्धि आदि) के विषय में भी जानना चाहिए / विशेषता इतनी है कि वे सम्पूर्ण आठ जम्बूद्वीपों (को भरने) की वैक्रियशक्ति (रखते हैं) वाले हैं / 26. एवं लतए वि, नवरं सातिरेगे भट्ट केबलकप्पे / [26] इसी प्रकार लान्तक नामक छठे देवलोक के इन्द्रादि की ऋद्धि आदि के विषय में समझना चाहिए किन्तु इतना विशेष है कि वे सम्पूर्ण आठ जम्बूद्वीपों से कुछ अधिक स्थल को भरने की विकुर्वणाशक्ति रखते हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org