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________________ सत्ततीसइमं सयं : बारस तेइंदियमहाजुम्मसयाई संतीसवाँ शतक : बारह त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक के अतिदेशपूर्वक बारह त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक 1. कडजुम्मकडजुम्मतेदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं तेइंदिएसु वि बारस सया कायव्वा बेंदियसयस रिसा, नवरं प्रोगाणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं तिनि गाउयाई; ठिती जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं एकूणवन्नरातिदियाई / सेसं तहेव / सेवं भंते ! सेवं भंते ! तिः / // सत्ततोसइमे सए : तेइंदियमहाजम्मसया समत्ता / / 37-1-12 // // सत्ततीसइमं सतं समत्तं // 37 // [1 प्र.] भगवन् ! कृतयुग्म-कृतयुग्मराशि वाले त्रीन्द्रिय जीव कहाँ से पाकर उत्पन्न होते हैं ? [1 उ.! गौतम ! द्वीन्द्रियशतक के समान त्रीन्द्रिय जीवों के भी बारह शतक करने चाहिए। विशेष यह है कि इनकी (त्रीन्द्रिय को) अवगाहना जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग को और उत्कृष्ट तीन गाऊ (गव्यूति) की है तथा स्थिति जघन्य एक समय की और उत्कृष्ट उनपचास (49) अहोरात्रि की है। शेष सब कथन पूर्ववत् है / भगवन ! यह इसी प्रकार है, भगवन ! यह इसी प्रकार है', यों कह कर गौतस्वाम यावत विचरते हैं। विवेचन-दोन्द्रियशतक का अतिदेश–कृतयुग्म-कृतयुग्मविशिष्ट त्रीन्द्रिय जीवों की अवगाहना और स्थिति को छोड़ कर, उत्पत्ति प्रादि का शेष समग्र कथन द्वीन्द्रियशतक के अतिदेशपूर्वक किया गया है। // संतीसवाँ शतक : द्वादश त्रीन्द्रियमहायुग्मशतक समाप्त / / / सैंतीसवां शतक सम्पूर्ण / Jain Education International For Private & Personal Use Only . www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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