________________ चउत्थे बेइंदियमहाजुम्मसए : पढमाइएक्कारसपज्जंता उद्देसगा चतुर्थ द्वीन्द्रियमहायुग्मशतक : पहले से ग्यारहवें उद्देशक पर्यन्त द्वितीय द्वीन्द्रियमहायुग्मशतकानुसार कापोतलेश्यो द्वीन्द्रियशतकनिर्देश 1. एवं काउलेस्सेहि वि सयं / [ // 36-4-1-11 // ] // छत्तीसइमे सए : चउत्थं सतं समत्तं / / 36-4 / / [1] इसी प्रकार कापोतलेश्यी द्वीन्द्रिय जीवों का (ग्यारह उद्देशक-राहित) शतक है। // छत्तीसवां शतक : चतुर्थ द्वीन्द्रियशतक समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org