________________ एबीसवां शतक : उद्देशक 4] 176. तिपएसिए जहा परमाणुपोग्गले / [176] त्रिप्रदेशीस्कन्ध का कथन परमाणु-पुद्गल के समान है / 177. चउपएसिए जहा दुपएसिए। [177] चतुष्प्रदेशीस्कन्ध-सम्बन्धी कथन द्विप्रदेशीस्कन्ध के समान है। 178. पंचपएसिए जहा तिपएसिए / {178] पंचप्रदेशी स्कन्ध की वक्तव्यता त्रिप्रदेशी स्कन्धवत् है / 176. छप्पएसिए जहा दुपएसिए। [176] षट्प्रदेशी स्कन्ध-विषयक कथन द्विप्रदेशी स्कन्ध के समान जानना / 10. सत्तपएसिए जहा तिपएसिए / [180] सप्तप्रदेशी स्कन्ध सम्बन्धी कथन त्रिप्रदेशी स्कन्ध के समान है / 181. अट्ठपएसिए जहा दुपएसिए। [181] अष्टप्रदेशी स्कन्ध-विषयक वक्तव्यता द्विप्रदेशी स्कन्ध जैसी है / 182. नवपएसिए जहा तिपएसिए। [182] नवप्रदेशी स्कन्ध का कथन त्रिप्रदेशी स्कन्ध जैसा है। 183. दसपएसिए जहा दुपएसिए। [183] दशप्रदेशी स्कन्ध-सम्बन्धी कथन द्विप्रदेशी के समान जानना चाहिए / 184. संखेज्जपएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा। गोयमा ! सिय सड्ढे, सिय अणड्ढे / |184 प्र.] भगवन् ! संख्यातप्रदेशी स्कन्ध सार्द्ध है या अनर्द्ध ? [184 उ.गौतम ! कदाचित् सार्द्ध है और कदाचित् अनर्द्ध है / 185. एवं असंखेज्जपएसिए वि / [185] इसी प्रकार असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहना चाहिए / 186. एवं प्रणंतपएसिए वि। [186] अनन्तप्रदेशी स्कन्ध का कथन भी इसी प्रकार है / 187. परमाणुपोग्गला गं भंते ! कि सड्ढा, अणड्डा ? गोयमा ! सड्ढा बा अणड्ढा वा / [187 प्र.] भगवन् ! (अनेक) परमाणु-पुद्गल सार्द्ध हैं या अनर्द्ध ? [187 उ.] गौतम ! वे सार्द्ध भी हैं और अनर्द्ध भी हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org