________________ पच्चीसवां शतक : प्राथमिक * ग्यारहवें उद्देशक में सम्यग्दृष्टि नैरयिकों से वैमानिकों तक के जीवों की (एकेन्द्रिय को छोड़___ कर) उत्पत्ति प्रादि की पूर्ववत् चर्चा की है / * बारहवे उद्देशक में मिथ्यादृष्टि नैरयिक आदि चौबीस दण्डकवर्ती जीवों की उत्पत्ति आदि की पूर्ववत् चर्चा की है। इन उद्देशकों में प्रतिपादित तत्त्वज्ञान से मुमुक्ष साधक कर्मसिद्धान्त पर सम्यक अद्धा करके जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होने के लिए स्वकृत कर्मों को स्वयं काटने के लिए पुरुषार्थ करता है / कुल मिलाकर पच्चीसवें शतक के बारह उद्देशकों में यात्मिक विकास में साधक-बाधक तत्त्वों की गहन चर्चा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org