________________ वीसवां शतक : उद्देशक 7] कम हुए) तथा मनुष्य में 55 बोल पाए जाते हैं / 24 दण्डकों में 55 में जितने-जितने बोल पाए जाते है, उनमें से प्रत्येक में त्रिविध बन्ध होते हैं।' // वीसवाँ शतक : सप्तम उद्देशक समाप्त / 1. (क) भगवती उपक्रम पृ. 459 पगड़ी 8 उदये 8 वेए 3 दसणमोहे चरिते य / ओरालिय-वेउविय-आहारग-तेय-कम्मए चेव // 12 // सन्ना 4 लेस्सा 6 दिट्ठी 3 जाणाऽणाणेसु 5+3, तम्चिसए 8 / जीवप्पयोगबंधे अणतर-परंपरेच बोद्धन्वे / 1 // 2 // अ. व. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org