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________________ बोसका शतक : ग्हेशक 5] य१९; सिय कालगाय, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दए य, सुविकलए य 20; सिय कालगा य, नीलए य, लोहियगा य, हालिद्दए य, सुक्किलगा य 21, सिय कालगा य, नीलए य, लोहियगाय, हालिद्दगा य, सुश्किलए य 22; सिय कालगा य, नीलगाय, लोहियगे य, हालिद्दए य, सुश्किलगे य 23; सिय कालगाय, नीलगाय, लोहियए य, हालिदए य, सुक्किलगा य 24; सिय कालगा य, नीलगाय, लोहियए य, हालिद्दगा य, सुक्किलए य 25, सिय कालगाय, नीलगाय, लोहियगा य, हालिद्दए य, सुक्किलए य 26; एए पंचगसंजोएणं छन्वीसं भंगा भवंति। एवामेव संपुटवावरेणं एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोएहिं दो एक्कतीसं भंगसया भवंति। गंधा जहा सत्तपएसियस्स / रसा जहा एयस्स चेव वण्णा। फासा जहा चउपएसियस्स। [8 प्र.] भगवन् ! अष्टप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला होता है ? इत्यादि प्रश्न ! [8 उ.] गौतम ! जब वह एक वर्ण वाला होता है, इत्यादि वर्णन सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान यावत्--कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है, इत्यादि कहना चाहिए। यदि एक वर्ण, दो वर्ण या तीन वर्ण वाला हो तो सप्तप्रदेशी स्कन्ध के एक वर्ण, द्विवर्ण एवं त्रिवर्ण के समान भंग कहने चाहिए। यदि वह चार वर्ण वाला होता है, तो (1) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और एकदेश पीला होता है, (2) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है; इस प्रकार सप्तप्रदेशी स्कन्ध के समान पन्द्रह भंग यावत्--(पन्द्रहवाँ भंग), कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल एवं एकदेश पीला, तथा गोलहवां भंग) कदाचित अनेकदेश काला. अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है; तक जानना चाहिए / एक चतुःसंयोग में सोलह भंग होते हैं। इस प्रकार इन पांच चतु:संयोगों के प्रत्येक के सोलह-सोलह भंग होने से 5416-80 भंग होते हैं। ___ यदि वह पाँच वर्ण वाला होता है, तो (1) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (2) कदाचित् एकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है। इस प्रकार इस क्रम से यावत्-(१५) कदाचित् एकदेश काला, अनेकदेश नीला, अनेकदेश लाल और अनेकदेश पीला होता है, इस पन्द्रहवें भंग तक कहना चाहिए। (16) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (17) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (18) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, एकदेश लाल और अनेकदेश पीला तथा एकदेश श्वेत होता है, (19) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (20) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (21) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, एकदेश पीला और अनेकदेश श्वेत होता है, (22) कदाचित् अनेकदेश काला, एकदेश नीला, अनेकदेश लाल, अनेकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता है, (23) कदाचित् अनेकदेश काला, अनेकदेश नीला, एकदेश लाल, एकदेश पीला और एकदेश श्वेत होता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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